राज्यसभा में पेश हुए 15 निजी विधेयक

नयी दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को गैर सरकारी कामकाज के तहत, संविधान में संशोधन कर उसकी प्रस्तावना में ‘‘अहिंसा’’ शब्द जोडऩे, स्वास्थ्य को मूलभूत अधिकार का दर्जा दिए जाने, तेजाब पीडि़तों के बेहतर पुनर्वास एवं उन्हें स्वास्थ्य संबंधी देखरेख सुविधाएं मुहैया कराने और पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग खेल विश्वविद्यालय की स्थापना करने के प्रावधानों वाले 15 निजी विधेयक पेश किए गए। कोविड महामारी की वजह से सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने के उद्देश्य से उच्च सदन में कामकाज के लिए तैयार की गई नयी व्यवस्था के तहत आज शुक्रवार को दोपहर 12 बज कर 30 मिनट पर गैर सरकारी कामकाज को लिया गया। सदस्यों ने गैर सरकारी कामकाज के तहत 15 निजी विधेयक पेश किए। बीजू जनता दल के डॉ अमर पटनायक ने संविधान का संशोधन कर उसकी प्रस्तावना में ‘‘अहिंसा’’शब्द जोडऩे के लिए ‘‘संविधान (संशोधन) विधेयक 2020 (प्रस्तावना और अनुच्छेद 51 ए का संशोधन) पेश किया। उन्होंने दो अन्य निजी विधेयक भी पेश किए। इसी पार्टी के प्रशांत नंदा ने एक निजी विधेयक पेश किया। माकपा के डॉ वी शिवदासन ने एक, इसी पार्टी के इलामारम करीम ने दो, राजद के मनोज कुमार झा ने एक, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने दो, तृणमूल कांग्रेस के शांता छेत्री ने एक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की डॉ फौजिया खान ने तीन और द्रमुक सदस्य पी विल्सन ने एक निजी विधेयक पेश किए। राजद के मनोज झा का निजी विधेयक स्वास्थ्य को मूलभूत अधिकार बनाने, शांता छेत्री का विधेयक पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग खेल विश्वविद्यालय की स्थापना करने से संबंधित था। डॉ फौजिया खान के तीन निजी विधेयकों मे से एक विधेयक तेजाब पीडि़तों के बेहतर पुनर्वास एवं उन्हें स्वास्थ्य संबंधी देखरेख सुविधाएं मुहैया कराने से संबंधित था। इसके बाद उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सदस्यों के निजी प्रस्तावों, निजी संकल्पों, निजी विधेयकों को पेश करने और उस पर चर्चा करने के बारे में फैसला सदन करता है और इसमें आसन की भूमिका नहीं होती। उन्होंने इस संबध में सदन में पहले विभिन्न अवसरों पर दी गई व्यवस्था का भी जिक्र किया।