अमेठी विस: त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे राजा

आशुतोष मिश्र, अमेठी। अमेठी विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर होने के आसार हैं। सामूहिक दुष्कर्म में दोषी होने के बाद सजा काट रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, कांग्रेस ने आखिरी वक्त में संजय सिंह के धुर विरोधी आशीष शुक्ला को मैदान में उतार दिया है। बसपा से रागिनी तिवारी पहले से ही मैदान में हैं। यहां भाजपा, सपा और कांग्रेस के बीच अब त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।
वैसे विधानसभा अमेठी प्रदेश की हमेशा हाट सीट रही है। स्वर्गीय संजय गांधी व राजीव गांधी के यहां से चुनाव लडऩे के कारण अमेठी का नाम देशभर में हुआ। वहीं, अमेठी के राजा राजर्षि रणंजय सिंह ने विधानसभा का पहला चुनाव 1951 में निर्दल जीत कर सब का ध्यान आकर्षित कर लिया था। बाद में उन्हीं की विरासत संभाल रहे उनके पुत्र व देश की राजनीति में बड़ा कद रखने वाले कद्दावर नेता डा संजय सिंह ने 1985 के चुनाव में 98.29 प्रतिशत वोट पाकर इतिहास रच दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. संजय सिंह अब 33 साल बाद फिर अमेठी से भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लडऩे जा रहे हैं। डा. संजय सिंह के पिता रणंजय सिंह की एक खासियत और रही कि वह कांग्रेस व जनसंघ दोनों से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें कभी पराजय नहीं मिली। विधायक होने के अलावा वह 1962 से 67 तक अमेठी से कांग्रेस सांसद भी रहे। वहीं उनके पुत्र संजय सिंह के सियासी सफर में काफी उतार- चढ़ाव आया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के साथ राजनीतिक यात्रा शुरू कर डा संजय 1980 में पहली बार विधानसभा में पहुंचे। मंत्री भी बने। 1985 के चुनाव में एक लाख 26 हजार मत में एक लाख 24 हजार वोट पाकर उन्होंने देश भर की सियासत में हलचल पैदा कर दिया था। उनका यह रिकॉर्ड आज तक देश में कोई भी नहीं तोड़ पाया है, लेकिन 1989 में वह जनता दल प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के हरिचरन यादव से भितरघात के चलते पराजित हो गए। अब 33 साल बाद अमेठी से ही वह फिर विधानसभा का चुनाव भाजपा की ओर से लड़ेंगे। इसके पूर्व वह 1998 में भाजपा से ही अमेठी लोकसभा से सांसद चुने जा चुके हैं। 2009 में सुलतानपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा में पहुंचे। 2014 में राहुल गांधी ने उन्हें असम से राज्यसभा में भेजा। वह केंद्र में भी मंत्री बनने के अतिरिक्त विभिन्न समितियों में भी रहे। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहमति बनने के बाद वह भाजपा को ताकत देने के लिए राज्यसभा से त्यागपत्र दे दिए। कांग्रेस छोडक़र भाजपा की सदस्यता ले ली।