जसवंतनगर विस: शिवपाल बनाएंगे जीत का रिकार्ड

चुनाव डेस्क। इटावा की जसवंतनगर विस सीट ऐसी है जहां किसी भी पार्टी किसी भी व्यक्ति की लहर देश और प्रदेश की राजनीति में रही हो, लेकिन मुलायम परिवार का इस सीट पर वर्चस्व रहा है। 1967 के बाद से इस सीट पर विधायक सिर्फ यादव को चुना गया। 1967 में पहली बार मुलायम सिंह यादव यहां से विधायक चुने गए थे। 1969 में मुलायम सिंह यादव कांग्रेस के विशम्भर सिंह यादव से हार गए थे, लेकिन 1974 के चुनाव में मुलायम ने विशम्भर यादव को हरा दिया था। इसके बाद 1977 के चुनाव में भारतीय लोक दल के टिकट पर उतरे मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते। 1980 में कांग्रेस के बलराम सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को हरा दिया। इसके बाद 1985 में मुलायम ने फिर जीत दर्ज की और फिर कभी नहीं हारे। 1989, 1991, 1993 में मुलायम सिंह यादव उतरे और जीत दर्ज की। 1993 के बाद मुलायम सिंह यादव ने ये सीट अपने भाई को सौंप दी। शिवपाल सिंह यादव 1996 में पहली बार यहां से चुनाव लड़े और तब से अब तक जीतते आ रहे हैं। जसवंतनगर यादव बाहुल्य सीट है. यहां करीब एक लाख 40 हज़ार यादव मतदाता हैं। एससी वोटर करीब 80 हज़ार, शाक्य करीब 45 हज़ार और ब्राह्मण 18 हज़ार हैं। यादव मतदाता इतनी बड़ी संख्या में हैं कि किसी प्रत्याशी के जीतने के लिए किसी और जाति के वोटों की ज़रूरत ही नहीं पड़ती है। यही वजह है कि यादव परिवार के लिए ये सीट अभेद्य किला बन गई है। इस सीट को सपा का गढ़ माना जाता है। इटावा की जसवंत नगर सीट से मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल सिंह यादव चुनावी मैदान में हैं। यह सीट इटावा जिले की सैफई तहसील और ताखा तहसील समेत कई थानों को मिलाकर बनी है। जसवंत नगर कस्बा आगरा-कानपुर हाईवे के पास बसा है। इसी विधानसभा में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी भी है, जहां आसपास के जिलों के लोग इलाज कराने पहुंचते हैं। जसवंत नगर की रामलीला को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है। इस सीट पर 20 फरवरी को मतदान होने वाला है। नतीजों का ऐलान 10 मार्च को होगा।