दूसरे चरण में गन्ना है प्रमुख मुद्दा

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सोमवार को दूसरे चरण का मतदान होगा। इस बार के चुनावों में भी गन्ना किसानों की समस्याएं प्रमुख मुद्दा हैं। ऐसे में राज्य की इस प्रमुख फसल की पैदावार करने वाले क्षेत्र में 14 फरवरी को दूसरे चरण का मतदान होने जा रहा है। राज्य में गन्ने का क्षेत्रफल 23.08 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जबकि 2020-21 में ये 23.07 लाख हेक्टेयर था। उत्तर प्रदेश का गन्ना क्षेत्र कम से कम 35 लाख किसानों का घर है। गन्ने की खेती की प्रमुखता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पश्चिमी यूपी के जिलों में इस फसल की पैदावार का भारी अनुपात है। जिला प्रशासन और स्थानीय किसानों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, बरेली में 70 प्रतिशत गन्ना किसान हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बरेली जिले की 9 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। क्या भाजपा इस बार भी उसी कारनामे को दोहरा पाएगी? देखना दिलचस्प होगा। इसके अलावा मुरादाबाद में लगभग 60 प्रतिशत, बदायूं में 40 प्रतिशत, बिजनौर में 50 प्रतिशत से अधिक और रामपुर में लगभग 45 प्रतिशत गन्ना किसान हैं। अन्य जिलों में संभल में 35 प्रतिशत गन्ना किसान हैं, सहारनपुर और अमरोहा में क्रमश: 65 प्रतिशत और 60 प्रतिशत और शाहजहांपुर में 35 प्रतिशत गन्ना उत्पादक हैं। उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण के लिए जिन सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें नजीबाबाद, नगीना (एससी), बरहापुर, धामपुर, नेहटौर (एससी), बेहट, नकुर, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, बिजनौर, चांदपुर, बिथरी चैनपुर, बरेली, बरेली कैंट, नूरपुर, कंठ, धनौरा (एससी), नौगवां सादात, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौर, बिसौली (एससी), कुंदरकी, बिलारी, चंदौसी (एससी), असमोली, संभल, सुअर, चमरौआ , बिलासपुर, रामपुर, मिलक (एससी), देवबंद, रामपुर मनिहारन (एससी), गंगोह, सहसवां, बिलसी, बदायूं, शेखूपुर, दातागंज, बहेरी, मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, फरीदपुर (एससी), आंवला, कटरा, जलालाबाद, तिलहर , पवयन (एससी), शाहजहांपुर और दादरौल शामिल हैं। दूसरे चरण में, नौ जिलों में फैली 55 विधानसभा सीटों के लिए कुल 586 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिसमें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नौ निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं। बबूरा गांव के एक किसान प्रवेश पाठक ने एएनआई को बताया, “हमारी चिंता जारी है। हम चाहते हैं कि सरकार हमारे भुगतान की देखभाल करे, कर्ज लेना कोई समाधान नहीं है।”