करहल में है अखिलेश के लिए साइलेंट वेब

करहल से अमृतांशु मिश्र। बीजेपी ने करहल में एसपी प्रेसीडेंट अखिलेश यादव के खिलाफ कद्दावर नेता को चुनाव मैदान में उतारा है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता दिख रहा हैं क्योंकि यहां के लोग अखिलेश यादव को ‘घर का लडक़ा’ मानते हैं। यहांं 20 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान होगा। कांग्रेस ने सपा प्रमुख के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने इस निर्वाचन क्षेत्र में कुलदीप नारायण को उम्मीदवार बनाया है। बघेल और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर एक लहर दिखाई देती है, जबकि बहुत से लोगों को उम्मीद है कि ‘भविष्य के मुख्यमंत्री’ का चुनाव करने से क्षेत्र में तेजी से प्रगति होगी। अखिलेश विपक्षी गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं, जिसमें राष्ट्रीय लोक दल और जाति-आधारित क्षेत्रीय दलों का एक समूह शामिल है। करहल इटावा जिले में अखिलेश के पैतृक गांव सैफई से महज चार किलोमीटर दूर है। यह निर्वाचन क्षेत्र मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी लोकसभा सीट का हिस्सा है। अखिलेश ने विधान परिषद सदस्य के रूप में मुख्यमंत्री के पद पर कार्य किया और वर्तमान में आजमगढ़ से सांसद भी हैं। अखिलेश अपने गृह क्षेत्र से पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा नेताओं और समर्थकों का कहना है कि निर्वाचन क्षेत्र साइलेंट वेब का गवाह बनेगा और उनका उम्मीदवार विजयी होगा। बघेल ने मीडिया से कहा कि करहल में मुकाबले को ‘एकतरफा’ रूप में देखना गलत होगा। उन्होंने अखिलेश को आजमगढ़ से भी नामांकन दाखिल करने के बारे में एक बार सोचने की बात कही। बघेल एक पुलिस अधिकारी के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में सेवा दे चुके हैं। उन्होंने कहा है कि किसी भी क्षेत्र को ‘गढ़’ नहीं कहा जा सकता क्योंकि राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसी हस्तियों ने भी अपने गढ़ों में हार का स्वाद चखा है. बनर्जी 2021 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम से अपने पूर्व सहयोगी एवं भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से हार गई थीं, जबकि राहुल गांधी को 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी ने हराया था। सपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र सिंह यादव ने बताया, ‘किसी और के लिए कोई मौका नहीं है. चुनाव एकतरफा है. अखिलेश की जीत का अंतर 1.25 लाख से अधिक होगा. आप जाकर लोगों से बात करें, आपको वास्तविकता का पता चल जाएगा. अगर आप इतिहास को देखते हैं इस निर्वाचन क्षेत्र में आपको सपा के लिए यहां के लोगों के प्यार और स्नेह का पता चलेगा। बता दें कि करहल सीट 1993 से सपा का गढ़ रही है। हालांकि, 2002 के विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के सोबरन सिंह यादव के खाते में गई थी, लेकिन बाद में वह सपा में शामिल हो गए। आंकड़ों के मुताबिक करहल में लगभग 3.7 लाख मतदाता हैं, जिनमें 1.4 लाख (37 प्रतिशत) यादव, 34,000 शाक्य (ओबीसी) और लगभग 14,000 मुस्लिम शामिल हैं। बघेल के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान ने कहा, ‘अब कोई ‘गुंडा राज’ नहीं है. भाजपा सीट जीतेगी। विक्रेता दीपक गुप्ता के लिए ये चुनाव क्षेत्र के विकास की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अखिलेश जी जीतेंगे। यहां के लोग उनकी जीत चाहते हैं जैसे ही वो मुख्यमंत्री बनेंगे, निर्वाचन क्षेत्र में विकास दिखाई देगा. वो ‘घर के लडक़ा’ हैं. केवल वे ही यहां विकास सुनिश्चित कर सकते हैं। आस-पास के आठ जिलों-फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज और फरुखाबाद के 29 निर्वाचन क्षेत्रों को ‘समाजवादी बेल्ट’ माना जाता है।