वेल में जमा रहा समूचा विपक्ष किया जमकर हंगामा

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लखनऊ। (विसं.) विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन में संपूर्ण विपक्ष ने कानून-व्यवस्था समेत अन्य विषयों को लेकर सरकार का जबरदस्त विरोध किया। सदन शुरू होने के पांच मिनट पहले ही संपूर्ण विपक्ष वेल में आ गया और सरकार विरोधी नारे बाजी करने लगा। विधानसभाध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के आसन गृहण करते ही विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और हांथों सरकार विरोधी त ितयां लेकर नारेबाजी करने लगे। विपक्षी सदस्य सरकार विरोधी हाथों में झंडे बैनर लेकर नारेबाजी कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष के बार-बार आग्रह करने के बाद भी जब विपक्षी सदस्य वापस अपने स्थान पर नहीं गये तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पहले 20 मिनट के लिए और बाद में 12:20 बजे तक के लिए स्थागित कर दी। जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी दलों के भारी हंगामें के बीच मु यमंत्री ने अनुपूरक बजट पटल पर रखा। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने समस्त विधायी कार्य निपटाते हुए सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया। उसके बाद भी भाजपा सदस्य सदन चलाने की मांग को लेकर वेल में ही धरने पर बैठ गए। सरकार ने चार दिन से ज्यादा सदन की कार्यवाही चलाने में असमर्थता जतायी।
इससे पूर्व वेल में हंगामे के दौरान मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी,भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, और कांग्रेस के सदस्य अपने-अपने मुद्दों पर लिखे बैनर लिये और टोपी लगाये अपना विरोध दर्ज करा रहे थे। विपक्षियों को वेल में पाकर सदन को अव्यवस्थित देख विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय ने पीठ से सभी से अपने-अपने स्थान पर जाने का कई बार आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अपने-अपने विषयों को नियम-56 के तहत सदन में उठाइये। लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार समूचा विपक्ष वेल में जमा रहा। सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया से बातचीत में कहा बद्त्तर कानून.व्यवस्था के चलते प्रदेश जल रहा है। पूरे सूबे में हत्या, लूट, बलात्कार, अपहरण और भूमाफि याओं द्वारा जमीन पर कब्जा किये जाने की घटनाएं आम हो गयी है। लेकिन सरकार इन सभी विषयों से अनजान बनकर सिर्फ अपने रास्ते पर चल रही है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि लोकायुक्त के नाम के चयन को लेकर प्रदेश सरकार ने पर परा और कानून का पालन नहीं किया है। जबकि सरकार की ओर से नये लोकायुक्त का नाम मंत्रिमण्डल से पारित कराकर राज्यपाल को स्वीकृति के लिए भेजा जाना असंवैधानिक है।
भाजपा के नेता विधान मण्डल दल सुरेश खन्ना ने कहा कि नियमानुसार हर दो माह पर दस दिन के लिए सदन बुलाया जाना चाहिए जिसमें दो दिन कानून व्यवस्था दो दिन भ्रष्टाचार दो दिन किसान दो दिन बिजली, एक दिन स्थानीय निकाय और एक दिन ग्राम पंचायत पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की कानून.व्यवस्था की बदतर और पुलिस की भी पिटाई तथा हिरासत में हत्याओं की बढ़ोत्तरी से यहां राजविहीनता है। भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोडऩे वाले यादव सिंह को बचाने के लिए सरकार का शीर्ष न्यायालय तक जाना भी बड़ा सवाल है। गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान व अतिवृष्टि.ओलावृष्टि के मुआवजे में किसान के साथ धोखा हुआ है। बिजली की दरें बढ़ी हैं। आपूर्ति व्यवस्था और ध्वस्त हुई है। खन्ना ने कहा कि सरकार को जनसमस्याओं से कोई सरोकार नहीं लग रहा है। कांग्रेस के नेता विधान मण्डल दल प्रदीप माथुर और रालोद के नेता दलवीर सिंह ने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था का बुरा हाल हैए गन्ना किसानों के बकाये भुगतान की चिन्ता नहीं है।