देश, काल, परिस्थितियों के हिसाब से बदलती रहती है उपासना पद्धति, धर्म शाश्वत है : योगी

गौतम बुद्ध नगर दिसंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में सीएम योगी ने देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का दीक्षांत समारोह में स्वागत एवं अभिनंदन किया। इस दौरान अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री ने उप राष्ट्रपति द्वारा खराब मौसम के बावजूद सड़क मार्ग से समय से पहले ही समारोह में पहुंचने को युवाओं के लिए प्रेरणादायी बताया। मुख्यमंत्री ने उप राष्ट्रपति को शून्य से शिखर की आदर्श प्रतिमूर्ति बताया। वहीं उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध की शिक्षाएं हमें बुद्धि और विवेक से धर्म का आचरण करते हुए टीम भावना के लिए प्रेरित करती हैं।

समस्याओं को स्वीकारना चाहिए
मुख्यमंत्री ने उपाधि प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालय के सभी छात्र छात्राओं को शुभकामनाएं देता हुए उनके उज्ज्वल और मंगलमय भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय का नामकरण भगवान गौतम बुद्ध के नाम पर हुआ है। बुद्ध के जीवन में हमें बहुत सी विशेषताएं देखने को मिलती हैं। उन्होंने जीवन के जिन रहस्यों को उद्घाटित किया था, वो हर मनुष्य के ईद-गिर्द घटती हैं। बुद्ध ने हमें सिखाया है कि हमें समस्याओं को स्वीकारना आना चाहिए। जैसे ही हम समस्या को स्वीकार करते हैं तो उसके समाधान का रास्ता भी तलाशना होता है। अक्सर होता ये है कि हम समस्या को ही सवीकार नहीं करते। हमारी विफलता का रहस्य समस्या से मुंह मोड़ने में ही छिपा है। उन्होंने कहा कि बुद्ध का जीवन ना सिर्फ प्रेरणादायी है, बल्कि देश और दुनिया को नई राह दिखाने वाला भी है।

सत्य बोलो और धर्म के मार्ग पर चलो
मुख्यमंत्री ने कहा कि दीक्षांत उपदेश भारत की गुरुकल परंपरा से आई है, जिसमें एक गुरु शिक्षा के उपरांत अपने शिष्य को उपदेश देता है कि तुमने जो भी ज्ञान प्राप्त किया है, उसका सार यही है कि सत्य बोलो और धर्म के मार्ग पर चलो। बुद्ध भी कहते हैं कि धर्म की शरण में जाओ। धर्म पूजा पद्धति नहीं है, बल्कि सदाचार, नैतिक मूल्य और कर्तव्य का समन्वित रूप है। ये हर देश, काल, परिस्थिति में समान रहता है। उपासना पद्धति देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है। मगर धर्म शाश्वत व्यवस्था है। बुद्ध ने अपने प्रत्येक अनुयायियों को बुद्ध यानी बुद्धि-विवेक की शरण में जाने के लिए कहा है। इसके अलावा उन्होंने संघ की शरण यानी टीम भावना के साथ कार्य करने के लिए कहा है। विश्वविद्यालय हो, उद्योग जगत हो या परिवार, टीम वर्क हमेशा परिणाम देता है। वही टीम परिणाम देती है जो वन लीडरशिप में कार्य करती है। बुद्ध का उपदेश मानवता के कल्याण का मार्ग खेलती है।

समाज के प्रति कृतज्ञ होना होगा
मुख्यमंत्री ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय के बाद अनंत संभावनाएं आपका इंतजार कर रही हैं। युवा पीढ़ी को ही विश्व का हित तय करना है। उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थानों को केवल डिग्री बांटने का सेंटर नहीं बनना चाहिए। शिक्षण संस्थानों का निर्माण समाज के सहयोग से प्राप्त पैसों से होता है, तो हमें माता, पिता और गुरु के प्रति कृतज्ञता का भाव तो रखना ही है, साथ ही साथ समाज के प्रति भी कृतज्ञ होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रशंसा व्यक्त की कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने जेवर एयरपोर्ट के सोशल इम्पैक्ट स्टडी का कार्य किया। इससे फैकल्टी और छात्रों को नया अनुभव हुआ तो हुआ ही विश्वविद्यालय को इनकम भी हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं का इंडस्ट्री के साथ जुड़ाव होना और रिसर्च एंड डेवलपमेंट के साथ ही इनोवेशन सेंटर के रूप में कार्य करना होगा।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के 8 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। वहीं 8 संकायों के विद्या वाचस्पति, स्नातकोत्तर और स्नातक के 7914 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गईं। इसके अलावा म्यांमार, वियतनाम, लाओस, थाईलैंड और ताइवान के पांच विदेशी छात्रों को भी उपाधियां प्रदान की गईं।

इस अवसर पर प्रदेश सरकार में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी, मंत्री बृजेश सिंह, कुलपति प्रो रविन्द्र कुमार सिन्हा, डीन एकेडमिक प्रो एमपी मलकानिया, विश्वविद्यालय के फैकल्टी मैंबर्स और उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र छात्राएं मौजूद रहे।