नयी दिल्ली, मई – जातिगत जनगणना के बाद नए सिरे से संसाधनों और राष्ट्रीय संपत्ति का बटवारा होगा, जो नये समावेशी और विकसित भारत की नींव रखेगा। इस क्रांतिकारी बदलाव का पूरा श्रेय नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी को जाता है। यह बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 193 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अमरीका विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति इसीलिए है कि वहां एफेरमेटिव एक्शन जैसी आरक्षण की व्यवस्था है जिसके कारण अमरीका अधिकतम श्रमशक्ति का इस्तेमाल विकास योजनाओं में करता है। इसी तरह देश के अंदर भी सबसे ज़्यादा प्रति व्यक्ति आय दक्षिण भारतीय राज्यों में है जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि तमिलनाडु जिसे राज्यों में आरक्षण 64 प्रतिशत है। इन दक्षिण भारतीय राज्यों की खुशहाली की एक दूसरी वजह इन राज्यों में भाजपा और आरएसएस का कमज़ोर होना भी है। इसका सीधा मतलब है कि जहां समावेशी सामाजिक ढांचा होगा वहां भाजपा भी कमज़ोर रहेगी और विकास भी ज़्यादा होगा।
उन्होंने कहा कि 2024 में सरकार के ही आंकड़े के मुताबिक तमिलनाडु की प्रति व्यक्ति आय 315,220, तेलंगाना 356,564 और केरल 281,001 है। वहीं धर्म और जाति की राजनीति के बंधक बन चुके उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति सालाना आय 104,126 और बिहार का 68,828 है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जातिगत जनगणना और उसपर आधारित आरक्षण व्यवस्था से सबसे ज़्यादा फ़ायदा पिछड़े हुए हिंदी पट्टी के राज्यों को होगा। इन राज्यों में आरएसएस और भाजपा ने मनुवाद को मजबूत करके सामाजिक रूपांतरण को रोक रखा है। जिसके कारण संसाधनों का आबादी के अनुपात में बटवारा नहीं हो पाया और ये राज्य समावेशी विकास की दौड़ में पीछे रह गए।