काशी का कमाल: मुर्गे का किया अंतिम संस्कार

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वाराणसी। आज के दौर में जब इंसान ही एक दूसरे के खून का प्यासा हो तो एक बेजुबान से प्यार की ये कहानी आपको हैरत में जरूर डाल देगी। ये एक मुर्गे की कहानी है जिसकी मौत के बाद उसके मालिक ने उसका महाश्मशान माने जाने वाले मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ दाह संस्कार ही नहीं किया बल्कि उसका श्राद्ध भी किया। इस मौके पर तमाम लोगों को भोज भी दिया गया।
हैरत में डालने वाली ये घटना है कपसेठी ईशरवार गांव की। यहां भोलानाथ के घर पर 1998 में पैदा हुए मुर्गे की बीते 16 अगस्त को मौत हो गई। 17 साल तक घर के सदस्यों के साथ रहते हुए मुर्गा सबका चहता बन गया था। उसकी मौत से भोलानाथ और परिवार के बाकी लोग काफी दुखी हो गए। भोलानाथ के मुताबिक उनके पिता की मौत के तीन दिन पहले ही मुर्गा पैदा हुआ था। उनके पिता का आदेश था कि जब भी मुर्गे की मौत होगी तो उसका भी दाह संस्कार और तेरहवीं की जाए। भोलानाथ ने मुर्गे की तेरहवीं भी की और इस दौरान भोज में गांव के सभी लोगों को न्योता देकर भोज कराया। इस भोज में करीब 30 लोग शामिल भी हुए। भोलानाथ के मुर्गा प्रेम की ये कहानी अब गांव के साथ ही दूर दराज के तमाम इलाकों तक में चर्चा में है। मौत के दो दिन बाद ही मुर्गे का श्राद्ध कर दिया गया थाए क्योंकि भोलानाथ के कई परिजनों को वापस अपने घर भी जाना था। मुर्गे की मौत से भोलानाथ के परिजन भी काफी दुखी थे। सभी ने मुर्गे के प्रति श्रद्धा दिखाने के लिए अपने बाल भी मुंडवाए थे। भोलानाथ ने मुर्गे की तस्वीर अपने घर में लगा रखी है। उनका कहना है कि परिवार पर कोई विपत्ति आती थी तो मुर्गा जोर जोर से बांग देने लगता था।