धार्मिक जनगणना का फायदा लेने की फिराक में भाजपा

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पटना। मोदी सरकार द्वारा धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने के बाद विधानसभा चुनाव में इसका फायदा लेने की पूरी तैयारी की गयी है। पार्टी भी मानती है कि इससे उसको फायदा मिलेगा। बिहार में प्रतिष्ठा का प्रश्न बने चुनाव में धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े भाजपा के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। जदयू व राजद गठबंधन के चलते सामाजिक धु्रवीकरण की चुनौती से जूझ रही भाजपा अब धार्मिक धु्रवीकरण को उभारने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। आधिकारिक तौर पर भाजपा ने इसमें किसी तरह की राजनीति से इनकार किया है। रणनीतिकार मान रहे हैं कि इन आंकड़ों के बाद लालू यादव और नीतीश कुमार के जातिगत समीकरणों को भोथरा करने में निश्चित की मदद मिलेगी।
देश के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने मंगलवार को 2011 के धार्मिक जनगणना आंकड़ों के अनुसार देश में 2001 से 2011 के बीच हिंदुओं की जनसंख्या में 0.7 फीसदी की गिरावट आई है जबकि मुस्लिम जनसंख्या में 0.8 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इन आंकड़ों का राजनीतिक महत्व काफी ज्यादा है। इन आंकड़ों के जारी होने का समय भी अहम है। बिहार के विधानसभा चुनावों को देखते हुए इनसे धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण हो सकता है। गौरतलब है कि बीते कई महीनों से राजद, सपा, जद (यू) जैसे दल जातीय जनगणना के आंकड़ों के लिए दबाव बनाए हुए थे, लेकिन वे अभी तक नहीं आए है। सरकार ने तमाम उपजातियों के पुनरीक्षण के लिए आंकड़ों को राज्यों को भेजने की बात कहते हुए वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही आंकड़े जारी करने का स्पष्टीकरण दिया था। राजनीतिक दृष्टि से जातीय जनगणना के आंकड़ों से इन दलों को लाभ मिल सकता था। धार्मिक आधार पर की गई जनणना वर्ष 2011 के आंकड़ों में राज्यों की जनसंख्या की बढ़ती रफ्तार की भी तस्वीर पेश की गई है। बिहार में कुल आबादी दस करोड़ 49 लाख से ज्यादा बताई गई है। इनमें से 8 करोड़ 60 लाख से ज्यादा हिंदुओं की संख्या और करीब एक करोड़ 75 लाख से ज्यादा मुसलमान हैं