कर्मचारियों के आगे हार गया गीता प्रेस

geeta press
लखनऊ। श्रीमद्भगवतगीता की 1142 लाख, श्रीरामचरितमानस एवं तुलसी-साहित्य 922 लाख, पुराण, उपनिषद् आदि ग्रन्थ की 227 लाख सहित 58.25 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित करने वाले गोरखपुर गीता प्रेस के कर्मचारी जिद पर अड़े है। गीता प्रेस बचाने के लिए स्कूली बच्चों ने रैली निकाली। बच्चों प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा, जिसमें गीता प्रेस की महत्ता बताते हुए इसे बचाने की अपील की गई है। इस बीच कर्मचारियों व प्रबंधन के बीच समझौता के लिए बुलाई गई आठवीं बैठक भी बेनतीजा रही। अगली तारीख चार सितंबर निर्धारित कर दी गई। इस बीच गतिरोध समाप्त न होने की स्थिति में प्रबंधन ने गीता प्रेस को गुजरात या महाराष्ट्र ले जाने के विकल्प पर विचार भी कर रहा है। संस्थान के सहायक प्रबंधक के साथ अभद्रता के आरोप में आठ अगस्त को प्रबंधन ने 12 स्थायी कर्मचारियों को निलंबित व पांच अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। तभी से कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
एडीएम सिटी बीएन सिंह व उप श्रमायुक्त यूपी सिंह ने बताया कि प्रबंधन व कर्मचारियों के बीच कुछ बिंदुओं पर सहमति बन गई है। उम्मीद है कि चार सितंबर को मामला सुलझ जाएगा। याद रहे कि 1923 में स्थापित गीताप्रेस नाम ही अपनेमें पूर्ण परिचय है। भगवत गीता के नाम पर स्थापित इस प्रेस की धार्मिक आध्यात्मिक पुस्तकों पर विज्ञापन नही छापा जाता है। यह एक विशुद्ध आध्यात्मिक संस्था है।