यूपी के स्कूलों में बनेगा रोड सेफ्टी क्लब

road safety
लखनऊ। यातायात नियमों के प्रति आम जनता को जागरूक करने के लिए सभी जिलों में इससे सम्बन्धित कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए। जिसमें अधिकारियों के साथ ही उनकी पत्नियों को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए, खासकर प्रशासनिक अधिकारियों की पत्नियों को। सभी जिलों के जिलाधिकारियों की पत्नियां किसी न किसी संस्था की अध्यक्षा होती हैं ऐसे में वे आगे बढ़कर लोगों को यातायात नियमों का पालन करने के प्रति जागरूक करें। यह विचार बुधवार को संभागीय परिवहन कार्यालय की ओर से गोमतीनगर स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल ऑडिटोरियम में सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यशाला में शिरकत करने के दौरान आकांक्षा समिति की अध्यक्षा व मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि स्कूलों व विभिन्न संस्थानों में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम के आयोजन किए जाने चाहिए। जिससे प्रदेश में असमय होनेे वाली मौतों पर लगाम लगाई जा सके। अध्यक्षा ने कहा कि अधिकतर घटनाएं गलत ड्राइविंग से होती हैं। ड्राइविंग करते समय यातायात नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से दोपहिया वाहन पर हेल्मेट व चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए। आम जनता खुद ही यातायात नियमों का पालन करे साथ ही परिवहन विभाग भी समय-समय पर ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करे। कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों व राजधानी के विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं को यातायात नियमों का पालन करने का संदेश देते हुए सड़क सुरक्षा की ब्रांड अम्बेसडर ने कहा कि सभी बच्चे यातायात नियमों का पालन करें साथ ही अपने माता-पिता को भी इस बारे में जागरूक करें। अपने साथ हुए हादसे को भी सुरभि रंजन ने कार्यक्रम में साझा किया। उन्होंने बताया कि काफी दिन पहले वे अपनी गाड़ी में बैठने जा ही रही थीं कि इसी बीच एक 15 साल के बच्चे ने उन्हें तेजी से ठोकर मार दी जिससे उनके सिर में बुरी तरह चाोट आ गई सिर से खून भी बहने लगा। लेकिन सही समय पर उपचार मिलने के कारण ठीक हो गई। अपने साथ हुए हादसे से उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि अगर दुर्धटना होने पर सही समय पर उपचार मिल जाए तो किसी की जान बचााई जा सकती है। परिवहन आयुक्त के. रवींद्र नायक ने ऑडिटोरियम में मौजूद सैकड़ों बच्चों से सवाल किया कि क्या उन्हें मालूम है कि हर वर्ष स्कूल के पास होने वाली दुर्घटनाओं में कितने लोगों की मौत हो जाती है। किसी बचचो ने 1.2 बिलियन तो किसी ने कई हजार में जवाब दिया। एक बच्चे ने बताया कि साल में स्कूल के सामने तकरीबन 1000 लोगों की मौत हो जाती है। जिस पर परिवहन आयुक्त ने कहा कि हर साल स्कूल के सामने 1004 लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। स्कूलों के सामने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्कूल प्रबंधन को छात्र-छात्राओं को जागरूक करना चाहिए। उन्होंने बताया कि हर साल केवल यूपी में ही विभिन्न कारणों के चलते होने वाले वाहन दुर्घटना में तकरीबन 16 हजार लोगों की असामयिक मृत्यु होती है। जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा प्रति वर्ष डेढ़ लाख तक है। हम सभी को सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है। सड़क सुरक्षा व ट्रैफिक नियमों का पालन कानून के डर से नहीं बल्कि स्वप्रेरित होते हुए इसका अक्षरश: पालन करना चाहिए। आप सभी के हाथ में ही खुद की जान है। उन्होंने अपील की कि वाहन चलाते समय किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें क्योंकि हर एक व्यक्ति के साथ उसके परिजनों की भी जिंदगी का जुड़ाव होता है। सड़क सुरक्षा नीति-नियम का हमेशा अनुसरण करें। कार्यक्रम के दौरान छात्र व छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक व लघु फिल्मों द्वारा यह भी प्रदर्शित किया कि वाहन चलाते समय नशे से दूर रहें, सील्ट बेल्ट लगाएं, मोबाइल का प्रयोग न करें, तेज गति में वाहन नहीं चलाएं व हमेशा हेल्मेट का प्रयोग करें। संभागीय परिवहन प्रशासनिक अधिकारी सगीर अहमद अंसारी ने कहा कि यातायात नियमों का पालन बेहद जरूरी है। परिवहन विभाग समय-समय पर लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। उन्होंने कहा कि जिंदगी एक बार मिलती है इसलिए सड़क पर चलने के दौरान यातायात नियमों का पालन करने के साथ ही लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें। जिससे दुर्घटनाओं की संख्या में कमी की जा सके।