सरकार को झटका: हाईकोर्ट ने कैंसिल किया शिक्षा मित्रों की नियुक्ति

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इलाहाबाद। यूपी की अखिलेश सरकार को हाईकोर्ट ने हजार वोल्ट का करंट वाला झटका दिया है। यूपी के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्रों की नियुक्ति हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की डिविजन बेंच ने यह ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा बेंच के जज थे। इनकी नियुक्ति का आदेश बीएसए ने साल 2014 में ये जारी किया था। जिसे कोर्ट ने आज रद्द कर दिया है। शिक्षामित्रों को नियुक्त करने को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध रूप से हुई है। जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में समायोजित करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की कई दिन तक दलीलें सुनीं।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती। शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें समायोजित करने का निर्णय लिया है। इसलिए इनके अप्वाइंटमेंट में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का सिलेक्शन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी के कारण किया गया है। यूपी में करीब 2 लाख 32 हजार प्राइमरी स्कूल हैं। यहां टीचरों की कम संख्या को देखते हुए सरकार ने संविदा पर टीचरों को रखने की प्रक्रिया शुरू की। इन्हें शिक्षामित्र नाम दिया गया। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में इनके रखने की प्रक्रिया शुरू की गई। शिक्षामित्रों को शुरू में हर महीने 3500 रुपए सैलरी दी जाती है। यूपी में कुल एक लाख 70 हजार शिक्षामित्र हैं। इनमें करीब एक लाख शिक्षामित्रों को नियमित करने की प्रक्रिया सरकार द्वारा शुरू कर दी गई है। इन्हें बड़ा वोटबैंक भी माना जाता है।