पटना। बिहार के चुनावी मैदान में उतरी तमाम पार्टियों के बीच एक राजनीतिक दल का नाम है बाप। दरअसल, इसका पूरा नाम भारतीय आम आवाम पार्टी है लेकिन अंग्रेजी में छोटा करने पर ये बाप बन जाता है। दरअसल, बिहार के चुनावों में छोटी-छोटी रजिस्टर्ड पार्टियों की दस्तक बढ़ती जा रही है। छोटी पार्टियों की तादाद वर्ष 1985 के बाद यकायक बढ़ गई। साल 1990 में 23 छोटी पार्टियां मैदान में थीं। पर ऐसे दलों की संख्या साल 1995 में 38, वर्ष 2000 में 31, वर्ष 2005 में 40 और साल 2010 आते-आते 72 हो गई। पटना के दिनकर गोल चक्कर के पास सीटियों का शोर कभी-कभी बढ़ जाता है। यहां प्रिया अपार्टमेंट में गरीब आदमी पार्टी का दफ्तर है। इस पार्टी का चुनाव चिन्ह सीटी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर आने वाले से कहते हैं- सीटी बजाओ, चोर भगाओ। इसी साल यानी 2015 में एक पार्टी रजिस्टर्ड हुई है, जिसका नाम है सदाबहार पार्टी। पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश यादव ने बिजली विभाग की नौकरी छोड़कर पार्टी बनाई है। इसके अलावा जनता राज विकास पार्टी, भारत निर्माण पार्टी, राष्ट्रीय समानांतर दल, जवान किसान मोर्चा जैसे नामों वाली दर्जनों पार्टियां चुनावी मैदान में हैं। भारत निर्माण पार्टी के शिव बिहारी सिंघानिया कहते है कि उम्मीदवार को खुद अपना पैसा लगाना होगा। पार्टी के पास पैसा कहां है? हम बस उम्मीदवार को गाइडेंस दे सकते हैं। सासंद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा, पूर्व सांसद साधु यादव का जनता दल सेक्यूलर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री नागमणि की समरस समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में हैं।