काशी के कोतवाल भैरव को प्रसन्न करेंगे मोदी

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सौरभ पांडे,
वाराणसी। वाराणसी से सांसद और देश के पीएम नरेन्द्र मोदी का दौरा कई बार टल चुका है। चार दफा मोदी का दौरा घोषित हुआ मगर वह नहीं पहुंच सके। बार-बार आती दौरे में विपदा पर मंथन शुरू हुआ। तमाम ज्योतिषाचार्य लग गये और बाद में निष्कर्ष निकला कि मोदी ने काशी के कोतवाल यानि काल भैरव को नाराज कर दिया है। नाराज भैरव ने ही उनका रास्ता रोका और सूत्रों के अनुसार संभावना है कि इसी गलती को सुधारने मोदी 18 सितम्बर को दौरे के दौरान समय निकाल कर कोतवाल के मंदिर पर शीश नवाऐंगे। मोदी जब से यहां आये हैं और पीएम बनने के बाद भी अभी तक उन्होंने काशी के कोतवाल के दर्शन नहीं किये यही वजह बतायी जा रही है कि जितने भी विघ््न पड़ रहे हैं बनारस आने में उसका कारण भैरव ही हैं।
मालूम होकि गंगा तट पर बसे काशी में भोलेनाथ के बाद यदि किसी का महत्व है, तो वो हैं काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव। ऐसी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के इस शहर में रहने के लिए बाबा काल भैरव की इजाजत लेना जरूरी है। वही इस शहर के प्रशासनिक अधिकारी हैं। इसीलिए उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। बाबा काल भैरव का प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर शहर के मैदागिन क्षेत्र में स्थित है। बाबा काल भैरव मंदिर के महंत पंडित नवीन गिरी ने बताया कि बाबा से जुडी एक और रोचक मान्यता है। आमतौर पर शहरों में कभी-कभी बड़े अधिकारियों द्वारा पुलिस थानों का भी निरीक्षण किया जाता है, लेकिन बाबा काल भैरव के मंदिर के पास के थाने (कोतवाली) में कभी निरीक्षण नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि बाबा खुद उसका निरीक्षण करते हैं। पंडित नवीन गिरी ने बताया कि कोतवाल बाबा काल भैरव महाकाल के रूप में काशी में विराजते हैं। भगवान शंकर की इस नगरी में उनके बाद बाबा काल भैरव का ही सबसे बड़ा स्थान है। बाबा विश्वनाथ इस शहर के राजा हैं और बाबा काल भैरव इस शहर के सेनापति हैं। यहां उनकी मर्जी चलती है, क्योंकि वही शहर की पूरी व्यवस्था संभालते हैं। महंत विजय पूरी ने बताया कि पुराणों में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मा ने पंचमुखी के एक मुख से शिव निंदा की थी। इससे नाराज काल भैरव ने ब्रह्मा का मुख ही अपने नाख़ून से काट दिया था। काल भैरव के नाख़ून में ब्रह्मा के मुख का अंश चिपका रह गया था, जो हट नहीं रहा था। भैरव ने परेशान होकर सारे लोकों की यात्रा कर ली, मगर ब्रह्म हत्या से मुक्ति नहीं मिली। तब भगवान विष्णु ने काल भैरव को काशी भेजा। यहां पहुंचकर उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिली और उसके बाद वे यहीं स्थापित हो गए।
भैरव मंदिर के महंत विजय पूरी ने बताया कि भैरव का मतलब होता है भय हरो। बाबा काल भैरव ही काशी में इंसानों को गलती करने पर सजा देते हैं। यमराज को भी यहां के इंसानों को दंड देने का अधिकार नहीं है। बाबा विश्वनाथ राजा हैं और काल भैरव उनके कोतवाल, जो लोगों को आशीर्वाद भी देते हैं और सजा भी। उनके मुताबिक, काल भैरव के दर्शन मात्र से शनि की साढ़े साती, अढ़ैया और शनि दंड से बचा जा सकता है। बाबा को सरसों के तेल का दीपक, उरद की दाल का बड़ा ,बेसन के लड्डू और मदिरा बेहद पसंद है। बाबा काल भैरव मंदिर में रोज 4 बार आरती होती है, जिसमें रात की शयन आरती सबसे प्रमुख है। आरती से पहले बाबा को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है, लेकिन उस दौरान पुजारी के अलावा किसी और को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत नहीं होती है। बाबा की पूजा का तरीका भी बेहद साधारण है। बाबा को सरसों का तेल चढ़ता है। उनके पास एक अखंड दीप हमेशा जलता रहता है। भक्त उसमें तेल डालते हैं, इससे वो पाप मुक्त हो जाते हैं और भय दूर हो जाता है।
इतिहासकार रुपेश मजूमदार ने बताया कि बाबा इस शहर में कब से स्थापित हैं ये तो किसी को नहीं पता, लेकिन बाबा का वर्तमान में बने इस मंदिर का साल 1715 में बाजीराव पेशवा ने जीर्णोद्धार करवाया था। वास्तुशास्त्र के अनुसार, ये मंदिर आज तक वैसा ही बना हुआ है। इसकी बनावट में कोई बदलाव नहीं आया है। तंत्र शैली के आधार पर मंदिर की बनावट है। ईशानकोण पर तंत्र साधना की महत्वपूर्ण स्थली है। पूर्व रिटायर शिक्षा अधिकारी अवधेश सिंह ने बताया कि 1998 में वो काशी आए थे। ज्वॉइन करने के बाद बाबा काल भैरव के दर्शन नहीं कर पाया था, क्योंकि उनके बारे में कुछ नहीं जानता था। महज 12 दिन के अंदर उनका ट्रांसफर हो गया। साल 2003 में फिर से काशी आने का मौका मिला और सबसे पहले बाबा काल भैरव के मंदिर जाकर दर्शन किए और आशीर्वाद मांगा। सालों यहां बिताने के बाद अब बाबा की कृपा से यहीं बस गया।