सीएम ने कैबिनेट बैठक में खींचा यूपी के विकास का खाका

akhilesh

लखनऊ। सीएम अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिये गये। इसके तहत कामधेनु योजना में बैंक से लिए गए ऋण पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 05 वर्षों तक ब्याज की प्रतिपूर्ति अधिकतम 32.82 लाख रुपये, मिनी कामधेनु योजना में 13.66 लाख रुपये तथा माइक्रो कामधेनु योजना में 7.29 लाख रुपये प्रति इकाई सरकार द्वारा की जाएगी। कामधेनु योजना में 05 वर्षों में प्रति इकाई 211 लाख रुपये, मिनी कामधेनु योजना में 113.86 लाख रुपये तथा माइक्रो कामधेनु योजना में 58.90 लाख रुपये का लाभ लाभार्थियों को होने का अनुमान है।
मंत्रिपरिषद ने यह भी निर्णय लिया है कि सिर्फ गाय की डेयरी स्थापित करने तथा निर्धारित अवधि में यूनिट पूर्ण करने पर कामधेनु योजना के तहत 05 लाख रुपये, मिनी कामधेनु योजना में 2.5 लाख रुपये तथा माइक्रो कामधेनु योजना में 1.25 लाख रुपये अनुदान के रूप में दिया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 राज्य चीनी निगम लि0 एवं उसकी सहायक कम्पनियों के अधीन बन्द चार चीनी मिलों (महोली, बुढ़वल, छाता एवं नन्दगंज) को उनकी इन्टीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने हेतु दीर्घकालीन (30 वर्ष) लीज पर निजी निवेशकर्ताओं को दिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मंत्रिपरिषद ने नव संचालित एवं निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कॉलेजों के परिसर में अथवा उसके समीप पी.पी.पी. मॉडल पर माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना/संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में 1,234 शिक्षकों के पद स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में शिक्षकों के पदों के सृजन के सम्बन्ध में निदेशक उच्च शिक्षा, इलाहाबाद की संस्तुति के अनुसार 1,234 शिक्षकों के पदों को महाविद्यालय/विषयवार, कतिपय शर्तों/प्रतिबन्धों के अधीन, स्वीकृत करने का निर्णय लिया है।
मंत्रिपरिषद ने खाद्यान्नों के संग्रहण हेतु गोदामों को किराए पर लिए जाने की स्वीकृति की प्रक्रिया के सरलीकरण हेतु गोदामों के किराए की दरों में संशोधन करते हुए अधिकारों के प्रतिनिधायन सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत सम्भागीय खाद्य नियंत्रक/जिलाधिकारी अधिकतम किराए की दर सीमा प्रति 100 बोरे पर 160 रुपये को दृष्टिगत रखते हुए अधिकतम 16 हजार रुपये मासिक किराया स्वीकृत कर सकते हैं। जबकि क्रमश: मण्डलायुक्त अधिकतम किराए की दर सीमा प्रति 100 बोरे पर 320 रुपये, खाद्य आयुक्त अधिकतम किराए की दर सीमा प्रति 100 बोरे पर 400 रुपये तथा सचिव, खाद्य तथा रसद को अधिकतम किराए की दर सीमा प्रति 100 बोरे पर 400 रुपये से अधिक को दृष्टिगत रखते हुए, अधिकतम मासिक किराया तय करने की कोई वित्तीय सीमा नहीं रखी गई है।
मंत्रिपरिषद ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ (के.जी.एम.यू.) के शिक्षकों के वेतन एवं भत्ते एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ के समान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत के.जी.एम.यू. के शैक्षिक पदों पर एस.जी.पी.जी.आई. से समानता के आधार पर प्रस्तावित पुनर्गठित ढांचा को स्वीकार कर लिया गया है। इसके क्रियान्वयन से के.जी.एम.यू. के समस्त शिक्षकों की वेतन विसंगतियां दूर होंगी तथा उनके वेतन व भत्ते एस.जी.पी.जी.आई. के समान हो जाएंगे।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री द्वारा के.जी.एम.यू. लखनऊ द्वारा चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में किए गए विशेष योगदान तथा राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त ख्याति के दृष्टिगत के.जी.एम.यू. के समस्त शिक्षकों के वेतन विसंगतियों को दूर करते हुए उनके वेतन एवं भत्ते एस.जी.पी.जी.आई. के समान करने की घोषणा की गई थी।यह निर्णय इसी क्रम में लिया गया है।
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मंत्रिपरिषद ने 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों को संज्ञान में लिया है। ज्ञातव्य है कि 14वें केन्द्रीय वित्त आयोग का गठन जनवरी, 2013 में किया गया। आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट संस्तुतियों सहित श्री राष्ट्रपति को दिनांक 15 दिसम्बर, 2014 को प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट की कार्रवाई ज्ञापन सहित केन्द्र सरकार द्वारा दिनांक 24 फरवरी, 2015 को संसद में प्रस्तुत की गई।
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के कर्मियों को पुनरीक्षित वेतन संरचना में वेतन बैण्ड एवं ग्रेड वेतन स्वीकृत कर दिया है। यह फैसला सार्वजनिक उपक्रमों/निगमों के कर्मियों को छठें केन्द्रीय वेतन आयोग के सन्दर्भ में गठित वेतन समिति-2008 के 7वें प्रतिवेदन की संस्तुतियों पर लिए गए निर्णय तथा प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम विभाग की अध्यक्षता में गठित अधिकृत समिति की संस्तुतियों के क्रम में लिया गया है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम में 4 नियमित कर्मी कार्यरत हैं, जिन्हें यह लाभ अनुमन्य कराया जाएगा। इस निर्णय के फलस्वरूप आने वाले वित्तीय व्यय भार को निगम द्वारा अपने संसाधनों से वहन किया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करायी जाएगी।