क्राउडफंडिंग है एक नई सुबह की आहट

lalit garg

ललित गर्ग। विज्ञान एवं तकनीक के इस युग ने मनुष्य को कई सौगातें दी , जीने का नया तरीका दिया है, सोच को बदला है और जीवन को सुगम बनाने की कोशिश की गयी है। ऐसी ही एक आधुनिक सौगात है क्राउडफंडिंग। विदेशों में यह लगभग स्थापित हो चुकी है और भारत में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों, जनकल्याण उपक्रमों और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। यह भारतीय चन्दे का आयात किया हुआ एक स्वरूप है, एक प्रक्रिया है।
चंदा हमारे देश की बहुप्रचलित एवं अति प्राचीन परंपरा है हिंदू धर्म में सत्संग, दुर्गा पूजा, कांवड यात्रा, अनुष्ठान, यज्ञ जैसे कार्यक्रमों के सफल आयोजन का आधार चंदा ही रहा है। साथ-ही-साथ शिक्षा संस्थान, अस्पताल, धर्मशाला, वृद्धाश्रम, महिला आश्रम आदि भी चन्दे की सहायता से पूरे होते रहे है। इसके अलावा दूसरे धर्मों में भी चंदा मांगकर सार्वजनिक एवं आस्था के कार्य पूरे किए जाते रहे हैं। भारत में प्रचलित किसी सार्वजनिक आयोजन को लेकर लिए और दिये जाने वाले चंदे का चलन विदेशों में क्राउड फंडिंग के रूप में तेजी से बढ़ा। चंदे एवं क्राउड फंडिंग में जो मूल फर्क देखने को मिलता है, वह यह है कि चन्दा प्राय: धार्मिक कार्यों के लिये ही दिया जाता रहा है जबकि क्राउड फंडिंग का क्षेत्र व्यापक है और इसमें धार्मिक कार्यांे के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक कार्य या व्यावसायिक कार्य जैसे पुल बनवाना, मोहल्ले की सफाई कराना, सड़क बनवाना या फिर फिल्म बनाने का काम हो, या पत्रकारिता से जुड़ा उपक्रम हो, इनमें क्राउंड फंडिंग का इस्तेमाल अब आम हो गया है। इस समय दुनियाभर में क्राउडफंडिंग दो तरह के मॉडल पर काम कर रही है। इसमें पहला है डोनेशन बेस्ड फंडिंग। क्राउडफंडिंग कॉन्सेप्ट का जन्म इसी मॉडल से हुआ है। इसमें लोग किसी अच्छे प्रोडक्ट या सर्विस के लिए पैसा दान करते हैं, ताकि बाद में उन्हें वह प्रोडक्ट मिल सके। क्राउडफंडिंग का दूसरा मॉडल है इंवेस्टमेंट क्राउडफंडिंग। यह आजकल सबसे अधिक चलन में है। इस तरह के मॉडल में पैसे देने वाला व्यक्ति उस कंपनी या प्रोडक्ट में हिस्सेदारी ले लेता है और बाद में उसे लाभ में हिस्सेदारी मिलती है।
भारत में क्राउड फंडिंग का चलन तेजी से बढ़ रहा है। तमाम सार्वजनिक योजनाओं और व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग इसका सहारा ले रहे हैं। अनेक हिन्दी फिल्में क्राउडफंडिंग के सहारे बनी हंै। अब विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। पुणे के कुछ युवाओं ने इसके लिए इग्नाइट इंटेंट नाम की वेबसाइट बनाई है। लेकिन हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रभावी प्रस्तुति एवं हिस्सेदारी के लिये क्राउडफंडिंग मंच इम्पैक्ट गुरु का लोकार्पण भव्य रूप में हुआ है। इसके कार्यकारी अधिकारी पीयूष जैन है, जिनकी भावी योजनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में क्राउडफंडिंग न केवल जीवन का हिस्सा बनेगा बल्कि अनेक बहुआयामी योजनाओं को आकार देने का आधार भी यही होगा। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने ही इम्पैक्ट गुरु का लोकार्पण किया। वे भी चाहती हैं कि सरकार के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों और आम नागरिक को सेवा और जनकल्याण के कार्यों के लिये क्राउडफंडिंग को बढ़ावा देना चाहिए। भारत में क्राउडफंडिंग के भविष्य को लेकर बहुत आशान्वित है पीयूष जैन। वे बताते हैं कि इम्पैक्ट गुरु क्राउडफंडिंग मंच हार्वर्ड इनोवेशन लैब में नवीन तकनीक से जुड़कर शुरू किया गया है। जो भारत में जनकल्याण के विविध उपक्रमों के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए गैर लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर कार्य करेगा।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत में क्राउडफंडिंग के लिए लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है। वर्ष-2014 में 167 प्रतिशत इजाफे के साथ 16.2 करोड़ डॉलर रहा। वर्ष-2015 में यह 34.4 करोड़ डॉलर हो गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में दुगना है। इन आंकड़ों से उजागर होता है कि क्राउडफंडिंग के प्रति दुनिया में न केवल बड़े दानदाताओं में बल्कि मध्यमवर्ग में भी देने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
इम्पैक्ट गुरु की कार्ययोजना को आकार देने के लिये गंभीरता से जुटे पीयूष जैन का मानना है कि क्राउडफंडिंग भारत के लोगों में दान की परम्परा को एक नई शक्ल देगा। बड़े दानदाता ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे दान को प्रोत्साहन किया जा सकेगा। मध्यमवर्ग के लोगों में भी दान देने का प्रचलन बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। विशेषत: युवकों में जनकल्याण एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए दान की परम्परा के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया जाएगा, जिसके माध्यम से सेवा और जनकल्याण के नये उपक्रम संचालित हो सकेंगे।
पीयूष जैन इम्पैक्ट गुरु के माध्यम से बच्चों से जुड़े उपक्रमों के लिए निकट भविष्य में एक अभिनव आयोजन को लेकर दान उपलब्धता के लिए प्रयासरत है जिसके लिए हार्वर्ड क्लब ऑफ मुम्बई और आईवी प्लस नेटवर्क के साथ भागीदारी सुनिश्चित हुई है। बच्चों से जुड़ें अधिकारों और उनके उन्नत शिक्षा के लिए पैसे जुटाने की यह भारतीय परिप्रेक्ष्य में अनूठी घटना होगी। पीयूष जैन ने बातचीत में बताया कि सोशल मीडिया की आम आदमी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हर आदमी फेसबुक से जुड़ा हुआ है और उसकी स्वतंत्र डिजिटल जीवनशैली भी है, जो उसे अधिक सामाजिक बनाती है। इम्पैक्ट गुरु दुनिया का पहला ऐसा डिजिटल मंच होगा जो जनकल्याणकारी कार्यों के लिए पैसा जुटाने और ऐसे ही उपक्रमों के लिए साझेदारी निभाने के लिए तत्पर है। फेसबुक के प्रत्येक सदस्य द्वारा सामाजिक भलाई हेतु एक न्यूनतम दान को प्रोत्साहित किया जाएगा जो कुछ शर्तों के साथ 1000 रुपये तक हो सकता है। इस योजना को इम्पैक्ट गुरु ने मुस्कान या सामाजिक मीडिया साझेदारी नाम दिया गया है।
इम्पैक्ट गुरु मंच की कोशिश से भारत में 33 लाख गैर लाभकारी संगठनों से जुड़ी समस्याओं को सुलझाया जा सकेगा। क्योंकि इन गैर लाभकारी संगठनों के सम्मुख धन उगाने के परम्परागत तरीके बहुत खर्चीले हैं, जो कुल धन का खर्च 35 प्रतिशत तक है, जिसे नई तकनीक के अंतर्गत 5 प्रतिशत तक किया जाएगा। इससे एक बड़ी समस्या का समाधान इम्पैक्ट गुरु के द्वारा संभव हो सकेगा। इम्पैक्ट गुरु कॉलेज और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ युवा प्रोफेशनल के बीच व्यापक पहुंच स्थापित कर उनमें क्राउडफंडिंग की शक्ति के माध्यम से उन्हें सोशल मीडिया के लिए जागरूक किया जा रहा है।क्राउडफंडिंग की परंपरा को भारत में व्यापक बनाने के लिये इम्पैक्ट गुरु के साथ-साथ अनेक संगठन और लोग विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अब तक इस परम्परा के तहत किसी परियोजना या व्यवसाय के लिए लोग एक साथ मिलकर आर्थिक सहयोग करते थे। आम तौर पर इसका प्रयोग वो लोग करते रहे हैं जिनके पास पैसों की कमी होती थी। आज के दौर में इंटरनेट के माध्यम से सबसे ज्यादा क्राउडफंडिंग हो रही है। 2008 में अमेरिका में आई आर्थिक मंदी के दौरान वहां के लोगों ने जोर-शोर से क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल शुरू किया। फिल्म निर्माता, संगीतकार से लेकर निवेशकों तक ने अपनी परियोजनाओं के लिए इंटरनेट के जरिए लोगों से पैसा जमा किया। दुनिया की सबसे बड़ी क्राउडफंडिंग कंपनी किकस्टार्टर कमोबेश हर क्षेत्र जैसे फिल्म, पत्रकारिता, संगीत, कॉमिक, वीडियो गेम से लेकर विज्ञान और तकनीक के लिए क्राउडफंडिंग करती है। किकस्टार्टर ने पिछले वर्ष तक 224 देशों के 58 लाख लोगों से तकरीबन दस अरब रुपये जुटाए हैं। इसका इस्तेमाल दो लाख लोगों ने विभिन्न योजनाओं के लिए किया। अब भारत में इम्पैक्ट गुरु भी कुछ ऐसा ही अनूठा, विलक्षण और संगठित प्रयास करने को तत्पर दिखाई दे रहा है। आज के समय में क्राउडफंडिंग एक ऐसा मंच माना जा रहा है, जिसके जरिए उन बहुआयामी योजनाओं को पूरा किया जा सकता है जो आधी-अधूरी हालात में है। ऐसे अनेक सार्वजनिक काम हैं जो निर्मित हो चुके हैं एवं फण्ड की कमी के कारण चलयमान नहीं हो पाए हैं, उन्हें सफलतापूर्वक क्रियाशील बनाने में क्राउड फंडिंग रामबाण औषधि का कार्य करेंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी क्राउडफंडिंग के जरिये सार्वजनिक उपक्रमों को अधिक सशक्त बनाने के लिये उत्साहित दिखाई देते हैं। आनलाइन के इस युग में क्राउड फंडिंग का भविष्य उज्ज्वल ही दिखाई दे रहा है। हाल में नेपाल में आए भूकंप पीडि़तों के लिए एक आठ साल के बच्चे ने 26 हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग 26 लाख नेपाली रुपये) जुटाने का कारनामा कर दिखाया है। उसने यह काम लोगों से चंदा एकत्रित (क्राउडफंडिंग) करके किया है। मैरीलैंड के रहने वाले नीव सराफ ने इसके लिए अपने मित्रों समेत उनके परिजनों से संपर्क किया। हरियाणा के सिरसा जिले के एक गांव में गांववाले क्राउडफंडिंग के जरिए 1 करोड़ रुपये इक_ा कर एक पुल का निर्माण करा रहे हैं। ऐसे अनेक उदाहरण हंै जो क्राउडफंडिंग की उजली सुबह की आहट कहे जा सकते हैं। पीयूष जैन के इस कथन में सच्चाई है कि सरकार हमारे तमाम मसले नहीं सुलझा सकती और जनता अपने बीच की समस्याओं के समाधान के लिये खुद ही आगे आना चाहती है। मध्य और उच्च वर्ग के लोग न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र बल्कि जनकल्याण से जुड़ी अनेक योजनाओं के लिये दान करना चाहते हैं। लोग एक-दूसरे की मदद भी करना चाहते हैं। लगता है आने वाले समय में छोटे-छोटे दान बड़ी योजनाओं को आकार देने के माध्यम बनेंगे।
पहले भारत में ऑफलाइन क्राउडफंडिंग होती थी पर अब समय बदल रहा है लोग ऑनलाइन क्राउडफंडिंग को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। चंदे से हुई शुरुआत भले ही आज के समय में क्राउडफंडिंग के रूप में विकसित एवं लुभावनी हो गई है, लेकिन भारत जैसे देश में बिना जागरूकता इसकी राह अभी बहुत आसान नजर नहीं आ रही है। इसीलिये पीयूष जैन भारत सरकार को क्राउडफंडिंग के लिए नीति बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि सरकार को क्राउडफंडिंग के लिए योजना बनानी चाहिए। क्राउड फंडिंग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। लोग जिन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते उनके लिए दान करना नहीं चाहते हैं। इस स्थिति में लोगों को दान कराने के लिए राजी करना चुनौती भरा होता है। जब सरकार की ओर से इसको प्रोत्साहन मिलेगा और इसकी सुनियोजित योजना सामने आएगी तो लोगों का विश्वास जागेगा। पीयूष जैन स्वीकारते हैं कि क्राउडफंडिंग भारत में काफी सफल होगा। यहां अमीर-गरीब के बीच गहरी खाई है। यह उसे पाटने में अहम भूमिका निभा सकता है. इसके जरिए अमीर मिलकर गरीबों की मदद कर सकते हैं। इससे उन लोगों की जिंदगी में बदलाव आएगा, जो पैसों की कमी की वजह से बुनियादी जरूरतों से महरूम रह जाते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तकनीक के मामले में भारत की दुनिया में अलग पहचान है। भारत के सुनहरे भविष्य के लिए क्राउडफंडिंग अहम भूमिका निभा सकती है। क्योंकि क्राउडफंडिंग से भारत में दान का मतलब सिर्फ गरीबों और लाचारों की मदद करना समझते आ रहे हैं जो कि अब कला, विज्ञान और मनोरंजन को समृद्ध करने की भी हो जायेगी। ऐसा होने से क्राउडफंडिंग की उपयोगिता एवं महत्ता सहस ही बहुगुणित होकर सामने आयेंगी। हम जहां रहते हैं वहां एक-दूसरे की मदद के बिना समाज नहीं चल सकता. अगर लोग इस तरह की मदद के लिए आगे नहीं आएंगे तो पैसों की कमी के चलते अनेक सामाजिक और सार्वजनिक इकाइयां मरनासन्न होकर रसातल में चली जायेगी।