एक प्रारूप में खेलना शरीर के लिए आसान: सानिया मिर्जा

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मुंबई। भारत की शीर्ष महिला टेनिस खिलाड़ी और विश्व युगल की शीर्ष वरीयता प्राप्त सानिया मिर्जा ने कहा कि सिर्फ युगल मैचों में खेलना शारीरिक रूप से शरीर के लिए अच्छा है, लेकिन साथ ही यह मानसिक रूप से थकाने वाला है। दुनिया की नंबर एक युगल खिलाड़ी ने क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया की मानद आजीवन सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहा, मैं सिर्फ एक प्रारूप में खेल रही हूं जो मेरे शरीर के लिए आसान है लेकिन मानसिक रूप से कड़ा है। साल में 25 हफ्तों तक शीर्ष पर रहना आसान नहीं होता।
स्विट्जरलैंड की मार्टिना हिंगिस के साथ पहले विंबलडन और फिर अमेरिकी ओपन के रूप में लगातार दो महिला युगल ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाली सानिया ने बताया कि पेशेवर तरीके से लगातार खेलना कितना मुश्किल है। मैं रियो ओलिंपिक की तैयारी की खातिर टूर्नामेंट खेलना कम नहीं करूंगी। ओलिंपिक भी मेरे लिए एक टूर्नामेंट से ज्यादा कुछ नहीं है। लोग चाहे कुछ भी सोचे लेकिन मेरा मानना है कि ओलिंपिक में पदक नहीं मिलने से जिंदगी रूक नहीं जाएगी। मुझे उसके बाद भी खेलते रहना है। यह बेवाक बात विश्व की नंबर एक महिला युगल टेनिस स्टार और खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित सानिया मिर्जा ने कही। उन्होंने कहा, 2016 के रियो ओलिंपिक में मिश्रित युगल के लिए अपने जोड़ीदार का फैसला उन्होंने स्वयं करने का फैसला किया है। हिंगिस के साथ विंबलडन और यूएस ओपन महिला डबल्स का खिताब जीत चुकीं सानिया ने कहा है कि हिंगिस को उनकी कामयाबी की एकमात्र वजह मानना गलत है। सानिया ने कहा, हिंगिस के अलावा वेस्नीना और कारा ब्लैक के साथ वे कई खिताब जीत चुकी हैं। अत: उनके योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। सानिया ने कहा मैं और मार्टिना एक साथ अच्छा कर रहे हैं। हम दोनों को दबाव पसंद है। जब हम अहम मैच खेल रहे होते हैं तो हम अपना गेम और मजबूत कर लेते हैं। हम दोनों एक दूसरे पर भरोसा करते हैं और इस साल हमने करीब 50 मैच जीते हैं।