मुस्लिम मतों को साधने में लगे सभी राजनीतिक दल

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अमृतांशु मिश्र
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में अभी दो साल का वक्त बाकी है मगर सभी राजनीतिक दलों को मिशन 2017 की चिंता सताने लगी है। सपा जहां सरकार में रहकर मुस्लिम वर्ग को खुश करने में लगी है वहीं कांग्रेस, भाजपा और बसपा सहित अन्य दल भी मुस्लिम मतों को अपने पाले में करने के लिए जोर आजमाइश करने में लगे हैं। लेकिन इस बार के सत्ता संग्राम में दो नए नाम भी जुड़ गए हैं। जिनमें से एक आम आदमी की बात करने वाले केजरीवाल हैं, तो दूसरे मुसलमानों के मसीहा के तौर पर मशहूर ओवैसी हैं। ये वही ओवैसी हैं जिनको हिंदुओं के खिलाफ बयान के लिए जाना जाता है।
ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस-ए-एत्तिहादुल मुस्लिमीन पार्टी के राष्ट्रीय सदस्य और हैदराबाद से सांसद हैं। ओवैसी के यूपी में कदम रखने से मुसलमानों के हितों की रक्षा का दंभ भरने वाली अखिलेश सरकार और कांग्रेस में चिंता साफ तौर पर नजर आ रही है। मालूम होकि ओवैसी को पिछले बार अखिलेश सरकार ने सभा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसके बाद से ओवैसी सपा सरकार पर हमेशा नजरें टेढ़ी किये रहते हैं। ऐसे उनके फिर से यूपी में पांव जमाने से सरकार काफी परेशान है।
वहीं दूसरी ओर बसपा सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का नारा दे रही है। जबिक भाजपा भी सक्रिय नजर आ रही है। ओवैसी के आगरा पहुंचने से पहले भाजपा पार्टी से सांसद वरुण गांधी वहां पहुंच गए और लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने साफ सुथरी राजनीति पर जोर दिया। लेकिन भाजपा के मौजूदा बयानों और कार्यों को देखकर नही लगता है कि भाजपा साफ सुथरी राजनीति कर रही है। महाराष्ट्र में मदरसाओं पर रोक लगाने संबंधी भाजपा के कार्यों से मुसलमानों में काफी रोष है। जिसका सीधा असर विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।
मुसलमानों को भाजपा और सपा के खिलाफ देखकर ओवैसी ने यूपी में कदम रखा। वो मुस्लिम वोट को बसपा और कांग्रेस की तरफ जाने से रोकना चाह रहे हैं। लेकिन ओवैसी के इस सपने को पीस पार्टी से झटका लग सकता है। पीस पार्टी भी मुसलमान नेताओं की पार्टी है। जो ओवैसी के पहले से यूपी में अपनी जमीन तलाश रही है। वहीं मौजूदा अखिलेश सरकार का मुसलमान वोट बैंक खतरे में दिखाई पड़ रहा है। हांलांकि सपा में कई मुस्लिम चेहरे हैं। जिनमें पहला नाम आजम खान का आता है। लेकिन आजम खान का दायरा रामपुर क्षेत्र तक ही सीमित हैं। उनके कार्यों से ज्यादातर मुसलमान खुश नजर नही हैं।
कांग्रेस पार्टी यूपी विधानसभा चुनावों की तैयारी में थोड़ी कमजोर लग रही है। कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी अचानक आकर एक बयान दे जाते हैं, और उसके बाद गायब हो जाते हैं। जिससे कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं में भी काफी रोष है। हांलांकि वो उसका खुलकर विरोध नही कर पा रहे हैं। लेकिन वो प्रियंका गांधी को आगे लाने की बात दबे शब्दों में अक्सर कहते रहते हैं। कांग्रेस का काफी हाल खराब है। राहुल गांधी हर मोर्चे पर फेल नजर आ रहे हैं जिससे उनका पुराना वोटबैंक मुसलमान हाथ से खिसक गया है ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में वह किस प्रकार से उनकेा अपने हक में करने के लिए हाथ पैर मारेंगे यह वक्त ही बतायेगा।