यूपी में बड़ा सवाल: युवाओं को कैसे आकर्षित करेंगे बुर्जुग कांग्रेसी

congress2लखनऊ। यूपी में आखिरी बार 1985 में सरकार बनाने वाली कांग्रेस पार्टी ने मिशन 2017 का आगाज कर दिया है। राहुल गांधी ने एजेंडा तय कर दिया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस चौथे नम्बर की पार्टी है जबकि विचारधारा में नम्बर एक है। सभी को एकजुट होकर विचारधारा में नम्बर एक वाली पार्टी को चौथे से अव्वल नम्बर पर लाना है। फिलहाल प्रदेश में विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या 28 से बढ़ा कर बहुमत के जादुई आंकड़े तक ले जाने की जिम्मेदारी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कंधे पर है। उप्र में 18 से 35 साल के युवाओं की आबादी 55 प्रतिशत से अधिक है। एक बढ़े राज्य के लिए युवा राहुल गांधी की टीम में 64 साल के प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री और 69 साल के प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव मधूसूदन मिस्त्री जैसे नेता है। जीतिन प्रसाद, आरपीएन सिंह जैसे युवा नेताओं को नेपथ्य में रखा गया है। पार्टी में एकजुटता बड़ी समस्या है तो दूरदर्शी नेता का अभाव भी है।
उप्र में पार्टी का सदस्यता अभियान पिछले कई महीनों से जारी है। ऐसे में पार्टी के मिशन 2017 को लेकर तैयारी आधी अधूरी है। प्रदेश कार्यकारणी बेहद निष्क्रिय है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक हमारा दल टीवी की बहस और बयान देने में आगे है पर जमीन पर कमजोर है। डा. रीता बहुगुणा सहित कुछ को छोड़ कर पार्टी के तमाम नेताओं को प्रदेश के आयु वर्ग के नेता पहचानते नही। राज्य में सबसे ज्यादा आबादी इसी आयु वर्ग की है। पार्टी पंचायत व सहकारिता, छात्र राजनीति में बेहद कमजोर है। युवा कांग्रेस भी बदहाली का शिकार है। खुद प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री की राजनीतिक पहचान उनके गृह जिले फैजाबाद के आसपास तक सीमित है। पिछले 15 सालों के दौरान राहुल गांधी ने प्रदेश के युवाओं का ध्यान खींचा है। राहुल गांधी के नाम से प्रदेश के युवाओं के साथ बच्चे भी अच्छी तरह परीचित है। पिछले दिनों एक स्कूल के दौरे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बच्चों से अपनी पहचान पूछी तो बच्चों ने उन्हे राहुल गांधी बता दिया। ऐसा ही अनुभव प्रदेश के एक दूसरे मंत्री को हुआ। इस बावजूद कांग्रेस के सामने जनाधार वापस लाने की चुनौती है। इसीलिए चिंतन बैठक में राहुल गांधी को प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री से कहना पड़ा कि आप जनता से पार्टी कार्यकर्ताओं से बात कराइए, देखें कैसे सफलता नहीं मिलेगी। कांग्रेस पूरे देश में मजबूत है मगर हिंदुस्तान के दिल यानि उत्तर प्रदेश मैं कमजोर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का डीएनए प्रदेशवासियों के खून में है। बस उसे जगाने की जरुरत है। कांग्रेस संगठन ही नहीं बल्कि परिवार है। 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी की तमाम कोशिशों के बाद भी पार्टी का जनाधार ऊपर नही आ सका। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राष्ट्रीय लोकदल सहित दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर लड़ा था।