कौन बनेगा स्मार्ट सिटी: गदर का शहर मेरठ या कांग्रेसी गढ़ रायबरेली

smart cityलखनऊ। उप्र के राजनीतिक के शहर रायबरेली और 1857 की गदर शुरू करने वाले शहर मेरठ के बीच स्मार्ट सिटी बनने की जंग चल रही है। मेरठ को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने के लिए व्यापारी से लेकर नागरिक तक आंदोलित है। केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में प्रदेश के 13 शहरों को शामिल होना है, जिसके 12 शहरों का एलान हो गया है। एक शहर की गुंजाइश बाकी है।
13वें शहर के लिए मेरठ व रायबरेली के बीच ड्रा हो गया। केन्द्र ने उत्तर प्रदेश के 12 नगरों की घोषणा कर दी एवं तेरहवें स्थान पर मेरठ अथवा रायबरेली में से एक का नाम घोषित करने का अधिकार प्रदेश शासन को दे दिया। रायबरेली को बराबर अंक होने के बावजूद सूची में 13ए व मेरठ को 13बी पर स्थान दिया गया। मेरठ को सूची में शामिल कराने की मांग को लेकर संयुक्त व्यापार संघ ने आंदोलन शुरू कर दिया है। उप्र भाजपा के अध्यक्ष डा.लक्ष्मीकांत वाजपेयी मेरठ से विधायक है। उन्होने उप्र के मुख्यमंत्री से मिल कर मेरठ को स्मार्ट सिटी सूची में शामिल कराने की मांग रखी है। मेरठ से भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा है कि स्मार्ट सिटी में शामिल होना मेरठ का हक है। केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना में शामिल कराने के लिए मेरठ के सभी दलों के पार्षद भी एकजुट हो गए है। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली को स्मार्ट सिटी में बनने की राह में कोई रोड़ा न आए इसके लिए रायबरेलीवासी भी सक्रिय हैं। हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। स्मार्ट सिटी संघर्ष समिति का गठन कर दो घंटे का सांकेतिक धरना दिया। भाजपा जिलाध्यक्ष अजय त्रिपाठी ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर रायबरेली को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की वकालत की है। भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने दिल्ली में शहरी विकास मंत्री वैंकैया नायडू से रायबरेली और मेरठ दोनों को स्मार्ट सिटी घोषित करने के लिए की पैरवी की। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने पुन: एक के बजाय दोनों नाम रायबरेली व मेरठ भेज दियें है जबकि देश भर में से केवल 100 शहर स्मार्ट सिटी के रूप में घोषित होने थे जिसमे से उत्तर प्रदेश के कोटे में 13 शहर ही स्मार्ट सिटी बनने है।