मोदी का हमकदम छत्तीसगढ़ :साकार हो रहा डिजिटल भारत का सपना

digital chhatisgarghस्वराज्य कुमार। डिजिटल भारत का सपना छत्तीसगढ़ में तेजी से साकार हो रहा है। यह भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां के मुख्यमंत्री से स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ देश और दुनिया के हर हिस्से के लोग सरकारी योजनाओं के बारे में फेसबुक पर विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। आम जनता की दिन-प्रतिदिन की जिंदगी को सहज-सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सोशल मीडिया सहित सूचना प्रौद्योगिकी के सभी आधुनिक औजारों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के अनुसार सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कम्प्यूटर, इंटरनेट और मोबाइल फोन पर आधारित डिजिटल क्रांति आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी क्रांति है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल भारत निर्माण के सपने को हकीकत में बदलने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार वचनबद्ध है और पूरी सक्रियता से प्रयासरत है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में जनसमस्याओं के निराकरण के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंत्रालय और सभी जिलों के कलेक्टर कार्यालयों के बीच जनसुनवाई की मुकम्मल व्यवस्था एक दशक से जारी है। मुख्यमंत्री स्वयं कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली का उपयोग करते हैं। मोबाइल फोन धारक लाखों विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली बंद होने की शिकायत दर्ज करवाने के लिए अब अपने क्षेत्र के बिजली आफिस को फोन करने या वहां जाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ विद्युत कॉल सेंटर के टोल फ्री नम्बर 1912 पर फोन करना होता है, उनकी शिकायत तत्काल दर्ज कर बकायदा उसका शिकायत क्रमांक एसएमएस के जरिए उन तक पहुंचा दिया जाता है और शिकायत का निराकरण होने की सूचना भी उन्हें एसएमएस के माध्यम से दी जाती है। बिजली बिलों से संबंधित शिकायतें भी इस टोल फ्री नम्बर पर दर्ज कर सकते हैं। राज्य के नागरिक अब नये बिजली कनेक्शनों के लिए घर बैठे कम्प्यूटर के जरिए ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं।
सहकारी समितियों में की जाने वाली धान खरीदी और उचित मूल्य दुकानों की राशन वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को इंटरनेट से जोड़ा गया है। इसके लिए खाद्य विभाग में जनभागीदारी वेबसाइट का सुचारू संचालन वर्ष 2008 से किया जा रहा है। इस वेबसाईट में धान उपार्जन और राशन वितरण की पाई-पाई का हिसाब हमारे किसानों और राशनकार्ड धारकों को आसानी से मिल सकता है। राशन वितरण से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कराने के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-233-3663 की सेवा भी काफी उपयोगी साबित हो रही है। दूरसंवेदी भू-उपग्रह पर आधारित छत्तीसगढ़ स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क (स्वान) के जरिए राज्य के सभी 27 जिलों के लगभग साढ़े तीन हजार सरकारी कार्यालयों को परस्पर जोड़ दिया गया है। मुख्यमंत्री हर हफ्ते गुरूवार को राजधानी रायपुर के अपने सरकारी आवास में आम जनता से मिलते हैं। उनके जनदर्शन कार्यक्रम में मिलने वाले आवेदन पत्रों को भी बकायदा वेबसाइट बनाकर उसमें दर्ज किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के जनदर्शन वेबसाइट में हर आवेदक को अपने आवेदन की अद्यतन स्थिति की जानकारी कहीं से भी आसानी से मिल सकती है। राज्य के सभी 27 जिलों में लोक सेवा गारंटी केन्द्र शुरू हो गए हैं, जिनमें आवेदकों को जाति, निवास, आमदनी प्रमाण पत्र, जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र आदि ऑनलाईन प्राप्त करने की सुविधा मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का डिजिटल भारत का सपना इसमें एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है। अमेरिका की सिलिकॉन वेली में जब हमारे प्रधानमंत्री यह कहते हैं कि ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम अब हमारे नये पड़ोसी हैं और डिजिटल भारत दुनिया का इतिहास बदल सकता है तो निश्चित रूप से वह डिजिटल क्रांति की उज्जवल संभावनाओं की ओर संकेत करते नजर आते हैं। डिजिटल भारत के निर्माण के लिए डिजिटल छत्तीसगढ़ का निर्माण जरूरी है। यह कार्य राज्य सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की संस्था छत्तीसगढ़ इन्फोटेक एवं बायोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) द्वारा बखूबी किया जा रहा है।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव अमन कुमार सिंह कहते हैं- इन्फरमेशन टेक्नॉलॉजी आधुनिक दुनिया के निर्माण का सबसे बड़ा माध्यम है। यह टेक्नॉलॉजी भौगोलिक और भौतिक सीमाओं से परे हैं, जो सभी उपयोगकर्ता नागरिकों को समान रूप से सुविधाओं के अवसर देती है। इसमें लाभार्थियों के सामने दूरियों का सवाल नहीं होता, बल्कि उन्हें हर समस्या का समाधान मिल सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में यह विभाग छत्तीसगढ़ राज्य को सूचना प्रौद्योगिकी की वो तमाम सौगात देने में काफी हद तक सफल रहा है, जो किसी विकसित प्रदेश या विकसित देश में नागरिकों को उपलब्ध हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने अपने सभी 20 हजार गांवों की भौगोलिक सूचना प्रणाली तैयार कर ली है, जिसमें राज्य के जल, जंगल और जमीन का पूरा ब्यौरा शामिल हैं। भौगोलिक सूचना प्रणाली में विभिन्न विभागों के लिए भू-अभिलेख नक्शे, टोपोग्राफी, जमीन के उपयोग, भूमि-जल निकासी, मिट्टी के प्रकार, जमीन की उर्वरता, खनिज सम्पदा, वन सम्पदा, सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति, जनसंख्या आदि के आंकड़ों का संकलन किया जा चुका है। इन सभी बीस हजार 007 गांवों के नक्शों का कम्प्यूटरीकरण भी कर लिया गया है। इससे गांवों के विकास के लिए कार्य योजना बनाना संबंधित विभागों के लिए काफी आसान हो गया है। चिप्स द्वारा आम नागरिकों के लिए प्रदेश भर में तीन हजार से ज्यादा चॉइस केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। इनमें से 200 केन्द्र शहरी क्षेत्रों में संचालित हो रहे हैं। सभी चॉइस केन्द्रों में आवेदकों को 50 से अधिक सरकारी सेवाएं दी जा रही हैं। इनमें 31 सर्वाधिक लोकप्रिय इलेक्ट्रॉनिक शासन (ई-शासन) की सेवाएं भी शामिल हैं। इन लोकप्रिय सेवाओं में जन्म-मृत्यु पंजीयन, विवाह पंजीयन, रोजगार पंजीयन, जाति प्रमाण पत्र, आमदनी और मूल निवासी प्रमाण पत्र, सम्पत्ति कर भुगतान, पानी के टैक्स के भुगतान, नल कनेक्शन, भवन निर्माण अनापत्ति प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, सम्पत्ति नामांतरण आदि उल्लेखनीय है। चॉइस के सामान्य सेवा केन्द्रों से छत्तीसगढ़ के दो लाख से ज्यादा नागरिकों को विगत एक वर्ष में (वर्ष 2014में ) इन सेवाओं का लाभ दिया गया। सामान्य सेवा केन्द्रों से 77 हजार 729 जन्म पंजीयन प्रमाण पत्र, 16 हजार 935 मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्र, चार हजार 961 विवाह प्रमाण पत्र, 32 हजार 132 आमदनी प्रमाण पत्र, 30 हजार 133 मूल निवासी प्रमाण पत्र, 10 हजार 771 पिछड़ा वर्ग जाति प्रमाण पत्र, पांच हजार 989 अनुसूचित जाति-जनजाति प्रमाण पत्र, पांच हजार 292 गुमाश्ता लायसेंस और एक हजार 453 अनाज व्यवसाय लायसेंस जारी किए गए। इन्हें मिलाकर योजना प्रारंभ से अब तक दस लाख से ज्यादा नागरिकों को इस प्रकार की सेवाओं का ऑनलाईन लाभ मिल चुका है। ई-शासन परियोजनाओं के तहत चॉइस के सामान्य सेवा केन्द्रों के जरिए राज्य सरकार नागरिकों के नजदीक पहुंचकर उन्हें शासकीय सेवाएं समय पर उपलब्ध करा रही है। चॉइस के साथ-साथ राज्य में ई-जिला परियोजना भी चल रही है। ये दोनों ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनमें तहसील कार्यालयों, कलेक्टर कार्यालयों, नगर पालिका और नगर निगम दफ्तरों सहित अधिकांश विभागों को इस नेटवर्क से जोड़ा गया है। ऑनलाईन सरकारी सेवाओं को हासिल करने के लिए नागरिकों को सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती। उन्हें अपने गांव या शहर के वार्ड में स्थित चॉइस केन्द्रों (सामान्य सेवा केन्द्रों) में आकर ऑनलाईन आवेदन करना होता है। उनके आवेदन सीधे संबंधित विभागों को ऑनलाईन भेज दिए जाते हैं। प्रदेशवासियों को ये सेवाएं कभी भी उनके घर के नजदीक मिल सकें, इसके लिए प्रत्येक छह गांवों के बीच एक ग्रामीण चॉइस केन्द्र (सामान्य सेवा केन्द्र) शुरू किया गया है, जहां लोग ऑनलाईन आवेदन करने के साथ-साथ अपने आवेदन पर हो रही कार्रवाई के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और सेवा प्राप्त होने पर उसके दस्तावेज का अधिकृत और वैधानिक प्रिंट भी प्राप्त कर सकते हैं। चॉइस केन्द्र शहरों में भी चल रहे हैं। चॉइस केन्द्रों का संचालन स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है। इस नई सुविधा के शुरू होने पर ग्रामीणों और आम नागरिकों को आवेदन जमा करने या दस्तावेज प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों में जाने की जरूरत नहीं रह गई है।
इस बीच चिप्स ने ग्रामीण चॉइस केन्द्रों में कम्प्यूटर साक्षरता कार्यक्रम भी शुरू किया है। इसके अंतर्गत पांच जिलों में बीस हजार युवाओं को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है। ग्रामीण चॉइस केन्द्रों को छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी के सहयोगी के रूप में बिजली बिलों की राशि जमा करने के लिए भी अधिकृत किया गया है। वर्ष 2014 में लगभग एक करोड़ 50 लाख रूपए के बिजली बिल संबंधित उपभोक्ताओं द्वारा इन केन्द्रों में जमा किए गए। इतना ही नहीं बल्कि 153 ग्रामीण चॉइस केन्द्र प्रभारियों को बैंकिंग एजेंट के रूप में भी जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिन्होंने एक लाख 36 हजार लोगों के खाते विभिन्न बैंकों में खुलवाए हैं। छत्तीसगढ़ इन्फोटेक एवं बायोटेक प्रमोशन सोसायटी (चिप्स) द्वारा वर्ष 2014 में 184 नये ग्रामीण चॉइस केन्द्र खोले गए। इन केन्द्रों में आवेदकों को आधार पंजीयन की भी सुविधा मिल रही है। वर्ष 2014 में राज्य के विभिन्न चॉइस केन्द्रों एक लाख 50 हजार लोगों का आधार पंजीयन किया गया। आवेदकों को आधार पंजीयन और मतदाता परिचय पत्र के पिं्रट देने की व्यवस्था भी इन केन्द्रों में की गई है। वर्ष 2014 में लगभग 50 हजार लोगों को मतदाता परिचय पत्र भी जारी किए गए।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा चिप्स के माध्यम से छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों के लिए एक नई योजना शुरू की है। इसे विद्यार्थी जीवन चक्र प्रबंधन का नाम दिया गया है। इसमें छात्र-छात्राओं के स्कूल-कॉलेज में दाखिला लेने से लेकर नौकरी के लिए चयनित होने तक उनका सम्पूर्ण अभिलेख कम्प्यूटर पर दर्ज किया जा सकता है। इसके लिए वेब आधारित सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इसमें छात्र-छात्राओं के दाखिले के लिए होने वाले नामांकन, उनके प्रवेश पत्र, समय सारिणी, परीक्षा प्रवेश पत्र, रिजल्ट, अंकसूची आदि ऑनलाईन प्राप्त किए जा सकेंगे और उनका रख-रखाव भी वेब आधारित होगा। इन सब कार्यों के लिए छात्र-छात्राओं को समस्त सेवाएं ऑनलाईन प्राप्त होंगी। विद्यार्थी जीवन चक्र प्रबंधन की यह सेवा चिप्स द्वारा 15 जनवरी 2014 से शुरू की गई है। इसके माध्यम से कोई भी संस्था अपने यहां की परीक्षा का प्रबंधन ऑनलाईन और आसानी से कर सकती है। इस नई प्रणाली में प्रत्येक कार्रवाई की सूचना आवेदकों को एसएमएस के जरिए मिल सकती है। वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की परीक्षाओं के लिए तीन लाख 60 हजार आवेदकों ने इस प्रणाली का इस्तेमाल किया। इनमें से दो लाख 85 हजार आवेदकों ने ऑनलाईन परीक्षा दी। सभी ऑनलाईन आवेदकों को लगभग 12 लाख एसएमएस और पांच लाख ई-मेल भेजे गए। राजधानी रायपुर स्थित हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ने अपने यहां दाखिले की प्रक्रिया में इस प्रणाली का इस्तेमाल शुरू किया है। राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में भी इस प्रणाली को जल्द से जल्द लागू करने की तैयारी की जा रही है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अधोसंरचना है – स्टेट सर्विस डिलेवरी गेटवे पोर्टल, जो शासन के सभी विभागों की जानकारियों को एक स्थान पर एकत्रित करके एकीकृत रूप से नागरिकों को सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। इसमें राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से संबंधित विभिन्न सेवाओं के लिए लगभग 100 आवेदन पत्रों के प्रारूप ई-फार्म के रूप में ऑनलाईन उपलब्ध हैं। विगत एक वर्ष में 40 लाख से अधिक लोगों ने स्टेट सर्विस डिलेवरी गेटवे को देखा। इसमें 50 विभागों की ऑनलाईन एप्लीकेशंस उपलब्ध हैं। नागरिकों की सुविधा के लिए राज्य सरकार के सभी विभागों और उनकी एजेंसियों की वेबसाइट एक ही पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के बारे में सभी प्रकार की जानकारी अधिनियम, नीतियां, राजपत्र, विभागों के परिपत्र आदि प्रदर्शित किए गए हैं। सभी विभाग अपने परिपत्र और आदेश आदि इस पोर्टल पर अपलोड कर रहे हैं। इसी पोर्टल पर सरकार से सरकार के बीच दी जाने वाली ऑनलाईन सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। छत्तीसगढ़ युवा सूचना क्रांति योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के कॉलेज छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क लैपटाप और टेबलेट वितरित किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत वर्ष 2014 में साढ़े तीन हजार से ज्यादा मेडिकल और इंजीनियरिंग छात्र-छात्राओं को लैपटाप और स्नातक कक्षाओं के लगभग ग्यारह हजार विद्यार्थियों को टेबलेट वितरित किए गए। डिजिटल छत्तीसगढ़ की एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना ई-प्रोक्योरमेंट की है। इसका संचालन वर्ष 2007 से किया जा रहा है। किसी भी कार्य अथवा सेवा की आपूर्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किए जाने की इस प्रणाली को ई-प्रोक्योरमेंट नाम दिया गया है। इस प्रणाली में धन, समय और मानवश्रम की बचत होने के साथ-साथ सरकारी खरीदी की प्रक्रिया भी काफी सरल, पारदर्शी हुई है और उसमें गुणवत्ता भी आई है। ई-प्रोक्योरमेंट के तहत राज्य सरकार के 32 विभागों में इंडेन्ट प्रबंधन, ई-टेंडरिंग, अनुबंध प्रबंधन, कैटलॉग प्रबंधन और ई-भुगतान जैसी सुविधाएं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अंतर्गत वर्ष 2014 में दस नये विभागों को इसमें जोड़ा गया और एक हजार 665 वेंडरों का पंजीयन करते हुए 13 हजार 593 करोड़ रूपए की आठ हजार 062 निविदाएं ऑनलाईन आमंत्रित की गई। योजना प्रारंभ से अब तक आठ हजार 182 वेंडर्स का पंजीयन किया जा चुका है और 43 हजार 301 निविदा प्रक्रिया पूर्ण की गई है, जिसमें निविदा राशि 81 हजार 534 करोड़ रूपए की है।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के एकीकृत आंकड़ों के भण्डारण के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से राजधानी रायपुर में डाटा सेंटर की स्थापना की गई है, जिसमें अब तक 27 विभागों के सर्वर स्थापित किए जा चुके हैं। विभिन्न विभागों की मुख्य परियोजनाओं की मॉनिटरिंग और उनके मूल्यांकन के लिए राज्य सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ डैशबोर्ड परियोजना भी शुरू की गई है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लगभग तीन महीने पहले छह जुलाई को राजधानी रायपुर में आयोजित डिजिटल भारत सप्ताह के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में प्रदेशवासियों के लिए कई डिजिटल सेवाओं का शुभारंभ किया, जिनमें मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पोर्टल सहित डिजिटल छत्तीसगढ़ के एकीकृत मोबाइल एप्प, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मोबाइल एप्प, कॉलेज छात्र-छात्राओं के लिए छत्तीसगढ़ कैंपस कनेक्ट पोर्टल, स्कूली बच्चों की मध्यान्ह भोजन योजना के लिए एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और विद्युत कनेक्शनों के ऑनलाईन आवेदन के लिए भी एक विशेष सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन शामिल हैं। सभी सरकारी कोषालय इंटरनेट के जरिए एक दूसरे से जुड़ गए हैं और सरकारी कर्मचारियों का वेतन अब हर महीने बैंक एकाउंट में ऑनलाईन जमा हो रहा है। स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का भुगतान भी ऑनलाईन किया जा रहा है। छात्रवृत्ति की राशि उनके बैंक खाते में ऑनलाईन जमा हो रही है। छात्रवृत्ति के लिए एटीएम कार्ड की तर्ज पर शिक्षा संगी कार्ड जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लगभग 41 लाख 22 हजार परिवारों का पंजीयन कर उन्हें स्मार्ट कार्ड जारी किए गए हैं। इसके आधार पर इन परिवारों को राज्य शासन द्वारा पंजीकृत अस्पतालों में सालाना तीस हजार रूपए तक नि:शुल्क इलाज की सुविधा मिल रही है। इसमें आमदनी का कोई बंधन नहीं है। राज्य में विगत एक दशक में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शुरू किए गए नये प्रयोगों के उत्साहजनक नतीजे साफ नजर आ रहे हैं।