जानिए पवित्र और फलदायी शंख के फायदे

shankhफीचर डेस्क। हिंदू आध्यत्म में शंख का बड़ा महत्व है और आदि काल से शंख का उपयोग भी होता रहा है। जब से पृथ्वी की उत्पत्ति हुई तब से लेकर आजतक शंख धरती पर है और पूजा पाठ में काम आता है। द्वापर युग हो या फिर त्रेता युग या फिर कलियुग इन सभी युगों में शंख की उपयोगिता रही है जोकि आज भी बरकरार है। हिन्दू धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र और शुभ फलदायी माना गया है। इसलिए पूजा-पाठ में शंख बजाने का नियम है। अगर धार्मिक बातों को दरकिनार भी कर दें तो भी शंख बजाने के ऐसे फायदे हैं जिसे जान लेंगे तो हर दिन सुबह शाम शंख बजाए बिना नहीं सो पाएंगे।
संतान प्राप्ति में सहायक शंख
जो दंपत्ति संतान सुख की चाहत रखते हैं। लेकिन किसी कारण से संतान सुख में बाधा आ रही है उन्हें नियमित दक्षिणवर्ती शंख में दूध भरकर शालिग्राम को स्नान करना चाहिए। पत्नी को प्रसाद स्वरुप यह दूध पिलाएं। माना जाता है कि इससे संतान प्राप्ति में आने वाली समस्या दूर होती है। व्यक्ति को संतान सुख प्राप्त होता है।
बोलने में तेज बच्चा चाहिए शंख से करें यह काम
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चो बोलने में तेज हो। वाणी संबंधी किसी भी तरह की परेशानी आपके बच्चे को नहीं हो तब गर्भावस्था के दौरान स्त्री को शंख में पानी भरकर पिलाएं। जो बच्चे हकलाकर बोलते हैं या तोतला बोलते हैं। उनकी वाणी संबंधी परेशानी दूर करने के लिए भी बच्चे को शंख में पानी भरकर पिलाना फायदेमंद होता है।
ऐसे रोगों को भी दूर करता है शंख
शंख बजाने से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। खासतौर पर यह फेफड़ों से संबंधित रोग के लिए बहुत ही असरदार माना गया है।
आयुर्वेद के अनुसार शंख बजाने से दमा, कास प्लीहा, यकृत और इंफ्लूएंजा नामक रोग दूर रहता है। इससे किडनी एवं जननांगों पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
मनुष्य के विकास में सहायक शंख
शास्त्रों में कहा गया है कि शंखघोष से निकलने वाला ओम का नाद मानसिक रोगों को दूर करता है। इससे कुंडलिनी जागरण की शक्ति भी विकसित होती है। माना जाता है कि शंखनाद से शरीर एवं आस-पास के वातावरण शुद्घ होता है और सतोगुण की वृद्घि होती है। इससे कई प्रसुप्त तंत्र जागृत होता है जो मनुष्य के विकास में सहायक होता है।
इस समय शंख नहीं बजाएं
शंख बजाना शुभ माना जाता है लेकिन कुछ समय ऐसे हैं जब शंख नहीं बजाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार रात में संध्या आरती के बाद शंख नहीं बजाना चाहिए। इससे लक्ष्मी नाराज होती है और आर्थिक नुकसान होता है। जबकि चिकित्सा की दृष्टि से कहा गया है कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरन शंख नहीं बजाना चाहिए। इससे गर्भ पर दबाव पड़ता है।