फर्जी मुहर बनाकर संग्रहालय का खा गये सरकारी धन

Musiam Dr. Ajai Pandey 20150707_110129

सुशील सिंह, लखनऊ। राज्य संग्रहालय के कार्यवाहक निदेशक डा. अजय पाण्डेय पर फर्जी मुहर मामले में मुश्किलें बढ़ सकती है। एटा के विधायक रामेश्वर सिंह यादव की शिकायत के बाद मुख्य सचिव आलोक रंजन ने 22 सितम्बर को सचिव संस्कृति अनीता मेश्राम को निर्देश जारी कर कहा है कि वह पूरे प्रकरण की जांच करके शीघ्र नियमों के अन्र्तगत एक सप्ताह में कार्यवाही करते हुए पत्रावली के माध्यम से अवगत करायें।

एटा के विधायक रामेश्वर सिंह यादव ने मुख्य सचिव आलोक रंजन को 2 सितम्बर के लिखे पत्र में कहा कि उन्होंने अप्रैल 2012 में राजकीय संग्रहालय झांसी के उप निदेशक पर तैनात डा. अजय पाण्डेय पर उ.प्र. संग्रहालय निदेशालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाले जाने के समय उनके द्वारा किये जा रहे घोर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत की थी, जिस पर तत्कालीन सचिव संस्कृति संजीव शरन ने 1 मई 2013 को प्राथमिक जांच कराकर उनको आरोप पत्र दिया गया था। सचिव संस्कृति के हटते ही डा. पाण्डेय ने जोड़ तोड़ की राजनीति करते हुए जून 2013 में फिर से काम चलाऊ व्यवस्था के तहत राज्य संग्रहालय में अतिरिक्त कार्यभार प्राप्त करने में सफल रहे।
विधायक ने मुख्य सचिव को खेद जताते हुए कहा कि इस मामले को लेकर ढाई वर्ष बीत गये लेकिन डा. पाण्डेय पर किसी भी प्रकार की शासकीय कार्यवाही नहीं की गयी। जिसके फलस्वरूप वह फिर से अन्य प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं में संलिप्त हो गये है। शासन संस्कृति द्वारा भी किसी भी डा. पाण्डेय से जुड़ी शिकायती पत्र को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है जिसके चलते वह लगातार निरंकुश होते जा रहे है।
विधायक ने मुख्य सचिव से अवगत कराया कि मेरी जानकारी में आया है कि डा. पाण्डेय पर लगे संगीन मामले में संस्कृति अनुभाग के अनुसचिव भैरव नाथ शुक्ल द्वारा लगातार पर्दा डाला जा रहा है तथा वह अजय पाण्डेय पर लग रहे भ्रष्टाचार व कार्यवाही के प्रकरण को दबाये जा रहें है। विधायक ने मुख्य सचिव से मांग किया है कि डा. पाण्डेय पर लगे सभी आरोपों से जुड़ी पत्रावली और इनकी व्यक्तिगत पत्रावलियों की मूल रूप को मंगवाकर अपने निर्देशन में जांच करवाकर कड़ी कार्यवाही करें तथा जांच के दौरान डा. पाण्डेय को निलंबित कर उन्हें अन्य जगह अटैच करें ताकि इनके द्वारा जांच प्रभावित न की जा सके।
यह था मामला-
अप्रैल 2012 में राजकीय संग्रहालय झांसी में उपनिदेशक पद पर कार्यरत डा. अजय पाण्डेय को काम चलाउ व्यवस्था के तहत राज्य संग्रहालय लखनऊ का कार्यभार सौंपा गया था। उस दौरान डा. पाण्डेय ने अवैध रूप से एक राजपत्रित पद, संग्रहालयाध्यक्ष राज्य संग्रहाल लखनऊ के नाम पर मुहर बनवाकर फर्जी तरीके से शासकीय धन निकालते रहे। जबकि राज्य संग्रहालय लखनऊ में संग्रहालयाध्यक्ष पद शासन द्वारा सृजित ही नही था। तत्कालीन सचिव संस्कृति संजीव शरन के आदेश के बाद हुए प्राथमिक जांच में यह पाया गया कि लोक कला संग्रहालय की संग्रहालयाध्यक्ष आशा पाण्डेय द्वारा वस्तुत: आहरण वितरण का कार्य किया जा रहा था और उनके द्वारा संग्रहालयाध्यक्ष राज्य संग्रहालय लखनऊ की मुहर का प्रयोग किया गया। उक्त मुहर बनवाने की स्वीकृति डा. पाण्डेय द्वारा दी गयी थी।