मुस्लिम महिलाओं के लिए मौलवियों का फरमान: चुनाव से रहो दूर

MuslimWomenमुम्बई। मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को लेकर मौलवियों का एक ऐसा फरमान आया है जिसके बाद एक नयी बहस ने तेजी पकड़ ली है। मुस्लिम मौलवियों एक स्थानीय कमिटी ने शहर में आदेश जारी किया कि मुस्लिम समुदाय महिलाओं को कोल्हापुर नगर निगम (केएमसी) चुनाव लडऩे के लिए प्रोत्साहित नहीं करेगा। कोल्हापुर की मजलिस-ए-शूरा-उलामा-ए-शहर कमिटी में 40-50 स्थानीय मौलवी हैं जो शहर की मस्जिदों के कर्ता-धर्ता हैं। उन्होंने पिछले सप्ताह एक नोट जारी करके महिलाओं को चुनाव से दूर रहने का आदेश दिया गया है।
मौलवियों के मुताबिक, मुस्लिम महिलाओं का चुनाव लडऩा उनके धर्म के ख्खिलाफ है। हालांकि शुक्रवार को इमामों के एक शीर्ष स्थानीय निकाय हिलाल कमिटी ने इस आदेश की निंदा की और कहा कि यह आदेश भारत के संविधान के खिलाफ है। ऐसे में इसका पालन नहीं किया जा सकता। मजलिस-ए-शूरा के प्रमुख मुफ्तिर शाद कनूर इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए मौजूद नहीं थे, लेकिन कमिटी के कुछ अन्य सदस्यों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि इस आदेश का अर्थ मुस्लिम महिलाओं को हतोत्साहित करना नहीं है। यह आदेश सामान्य तौर पर भेजा गया है जो समुदाय के लोगों के अपने धर्म के मुताबिक चलने के लिए आगाह करता है। आदेश में लिखा गया कि शरिया और दो दूसरे कानून इस्लाम में पाक हैं और महिलाओं को चुनाव में हिस्सा लेने से बचना चाहिए। जब राजनीति पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना शुरू कर दिया, तब बिना किसी दस्तखत वाला यह आदेश समुदाय के प्रभावशाली नेताओं के बीच बांटा गया। अभी तक 20 मुस्लिम महिलाएं इस चुनाव में हिस्सा ले रही हैं। हिलाल कमिटी के अलावा समुदाय के एक बड़े वर्ग ने इस आदेश की निंदा की है और कहा कि मुस्लिम महिलाओं को चुनाव में बिना किसी परेशानी के हिस्सा लेने दिया जाना चाहिए। स्थानीय हिलाल कमिटी के अध्यक्ष मंसूर अंसारी ने कहा कि यह फरमान देश के संविधान के खिलाफ है और हम इसकी निंदा करते हैं।
एनसीपी नेता फराज ने कहा कि यह एक हास्यास्पद और निंदनीय बयान है। मुझे हैरानी होती है कि जब महिलाएं चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही थीं, तब यह लोग कहां थे। महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय की 200 से ज्यादा महिला पार्षद हैं।