टीईटी से मिले पात्रों को छूट: मुख्स सचिव

alok ranjanलखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखकर स्नातक योग्यताधारी एवं दूरस्थ शिक्षा विधि के माध्यम से दो वर्षीय प्रशिक्षण उत्तीर्ण कर चुके शिक्षामित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता से छूट प्रदान किये जाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के सम्बन्ध में निर्गत अधिसूचना को निरस्त कर दिये जाने के फलस्वरूप अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से दी गई छूट समाप्त हो गई है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश के फलस्वरूप परिषदीय विद्यालयों में जहां एक तरफ अध्यापकों की संख्या में वृृहद स्तर पर कमी हो जायेगी, वहीं दूसरी ओर लगभग 1,70,000 शिक्षामित्रों के सम्बन्ध में दुविधा की स्थिति उत्पन्न होने के कारण प्रदर्शन व आन्दोलन पूरे प्रदेश में प्रारम्भ हो गये हैं। उन्होंने कहा कि अपने वेतन की मांग इनके द्वारा सतत रूप से की जा रही है तथा जनान्दोलन एवं आत्मदाह के प्रयास व चेतावनी दी जा रही है, जिसके कारण राज्य सरकार के समक्ष एक विषम स्थिति उत्पन्न हो गयी है। मुख्य सचिव ने उत्तराखण्ड राज्य में कार्यरत शिक्षामित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट प्रदान किये जाने को अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के संज्ञान में लाते हुये कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में कार्यरत शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन हेतु अनुमति पूर्व में प्रदान की जा चुकी है तथा शिक्षामित्रों का समायोजन भी किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड राज्य के सम्बन्ध में शिक्षामित्रों की स्थिति एक जैसी ही है। उन्होंने कहा कि आरटीई एक्ट-2009 के प्रभावी होने के पूर्व से ही उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्र लगभग 15-16 वर्षों से सकुशलता के साथ शिक्षण दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं तथा स्नातक योग्यता एवं दूरस्थ विधा से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण भी पूर्ण कर चुके हैं।