खादी के बाद एलपीजी: झूठ का पुलिंदा साबित हो रहे हैं पीएम के दावे

modi chenniनई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार गलत दावे किये जा रहे हैं। पहले उन्होंने खादी की बिक्री को देश में दोगुना बताया था मगर असलियत में केवल 6 फीसदी की बिक्री देश में बढ़ी। अब नया दावा उन्होंने किया है कि एलपीजी से सरकार को 12 हजार करोड़ से ज्यादा की बचत हुई है मगर एक रिपोर्ट के मुताबिक केवल 143 करोड़ की ही बचत हुई है। पीएम मोदी द्वारा बार-बार गलत दावों पर सवाल उठने लगे हैं। उनके बयानों से इतर निकल रहे नतीजों से पीएम मोदी की कथनी और करनी में भी अतंर हो रहा है। आमजनता के मन भी है आखिर मोदी बार-बार क्यों झूठ बोल रहे हैं।
मालूम हो कि पीएम मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि गैस सब्सिडी के सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर से सरकार को 12,700 करोड़ रुपये की बचत हुई है। लेकिन, उनके इस दावे पर इंटरनेशनल इंस्ट्यिूट ऑफ सस्टेनैबल डिवेलपमेंट की एक रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं। आईआईएसडी की रिपोर्ट के मुताबिक सब्सिडी के खातों में सीधे हस्तांतरण से होने वाली बचत का सरकार का अनुमान ओवरऐस्टीमेट जैसा है।
आईआईएसडी के मुताबिक 2014-15 में इस स्कीम के लागू होने के बाद सरकार का 12,700 करोड़ रुपये बचने का दावा गलत है और उसे इसके मुकाबले महज 1.12 पर्सेंट यानी 143 करोड़ रुपये की ही बचत हुई है। स्टडी के तीन लेखकों में से एक कीरेन क्लार्क ने बताया कि हमारी स्टडी से यह पता चला है कि पिछले साल सब्सिडी के नकद हस्तांतरण से होने वाली बचत का अनुमान बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया आंकड़ा है। सरकार की ओर से इस बचत के बारे में कोई आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किया गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन कई बार यह दोहरा चुके हैं। एनडीए सरकार ने नवंबर मध्य 2014 में देश के 54 जिलों में एलपीजी गैस सब्सिडी के नकद हस्तांतरण की योजना शुरू की थी। इसके बाद जनवरी 2015 में इसे देश के सभी जिलों में लागू किया गया। सबसे पहले यूपीए सरकार ने यह योजना शुरू की थी, लेकिन फरवरी 2014 में इस योजना को निलंबित कर दिया गया था। आईआईएसडी ने इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी नकद सब्सिडी हस्तांतरण स्कीम बताया है। इस योजना को लेकर अरविंद सुब्रमण्यन से संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि 12,700 करोड़ की बचत 2014-15 के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि इस साल कुल कितनी एलपीजी गैस का उपभोग होगा। उन्होंने कहा कि बचत कुल उपभोग की 24 पर्सेंट के आसपास रहेगी।
इसी प्रकार खादी की बिक्री में भी मोदी ने कहा था कि देश में इसकी बिक्री दोगुना हो गयी है मगर आकड़े इसके उलट हैं। खादी की बिक्री के जो आकड़े मिले हैं उसके अनुसार देश में खादी की बिक्री में इजाफा केवल 6 फीसदी की हुई है जबकि मोदी के अनुसार यह बढ़कर डबल हो गयी है। देश में वर्ष 2013-14 में खादी की बिक्री कुल 1081.04 करोड़ हुई थी और 2014-15 में यह महज 1149.9 तक पहुंच पायी है। जोकि करीब 5.82 फीसदी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर मोदी किस आधार पर कह रहे हैं कि खादी की बिक्री देश में दोगुनी हो गयी है। सबसे अहम यह है कि देश के कई राज्यों में खादी की बिक्री ना के बराबर है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में तो हाल काफी बुरा है। सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, गोवा में खादी की बिक्री एकदम नगण्य है। कमोवेश इस मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी काफी अव्वल है। खादी बिक्री में यूपी पूरे देश में आगे है। यूपी में खादी की बिक्री पर नजर डाली जाये तो इसकी तस्दीक भी हो जाती है। यूपी में लगतार खादी की बिक्री बढ़ी है इसमें सपा सरकार का योगदान है तो कहना गलत नहीं होगा क्योंकि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव हों या फिर सीएम अखिलेश यादव लगातार खादी की बिक्री बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं और इसी का परिणाम रहा है कि वर्ष 2012-13 में 304.71 करोड़ की बिक्री हुई है। इसी प्रकार वर्ष 2013-14 में 325.1 करोड़ रही। इसी तरह वर्ष 2014-15 में सबसे ज्यादा 344.31 करोड़ की खादी बिकी।