छावनी क्षेत्रों के विकास में नहीं आएगी कोई बाधा: रक्षा मंत्री

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लखनऊ। सेना और आम लोगों के बीच अखाड़ा बनती जा रहे छावनी क्षेत्रों को विकास में बाधक नहीं बनने दिया जाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा न हो तो कैंट अब किसी भी प्रोजेक्ट में बाधक नहीं बनेगा, बल्कि देश के विकास में अहम योगदान देगा। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह बात गुरुवार को राजधानी के आशियाना में स्थित बैंकर्स इंस्टीटयूट ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट में आयोजित दो दिवसीय छावनी परिषदों के निर्वाचित सदस्यों के ओरिएंटेशन प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विधायक या सांसद बनने बनने और उसका काम करने में खास दिक्कत नहीं होती लेकिन छावनी के सदस्यों को उनके काम और क्षमताओं की जानकारी के लिए यह ओरिएंटेशन प्रोग्राम जरूरी है। इससे छावनी क्षेत्रों में विकास के काम करने में आसानी होगी। इससे पहले पर्रिकर ने दीप प्रज्जवलन कर दो दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद पर्रिकर ने कहा कि देश के अंदर सेना और सिविलियंस का सबसे ज्यादा सामना छावनियों में होता है। लेकिन सालों में अनदेखी की वजह से वहां पर दोनों के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसके पीछे उन्होंने छावनी परिषदों के मेंबरों को उनकी क्षमताओं की जानकारी न होने और व्यवस्थित अप्रोच की कमी को बताया। कहा कि छावनी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा टकराव जिन बिंदुओं पर है उन्हें चिहिनत कर लिया गया है और इस वित्तीय वर्ष में दूर कर लिया जाएगा। बताया कि इसके लिए कैंटोन्मेंट एक्ट 2006 में जरूरी बदलाव किये जाएंगे। साथ ही कैंटोन्मेंट डेवलपमेंट प्लान लाकर छावनी क्षेत्रों के विकास का खाका खींचा जाएगा।