सऊदी अरब चुनाव: परेशान कर रहा है महिलाओं को फरमान

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रियाद। सोचिए अगर आपको चुनाव में खड़े होने का मौका दिया जाए, लेकिन उस के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी जाएं जैसे कि आप वोटर्स से नहीं मिल सकेंगे। आपके लिए प्रचार कोई और शख्स करेगा, चुनाव संबंधी सामान पर आपकी फोटो भी नहीं होगी। तो किस बूते पर आप लड़ेंगे? लेकिन सऊदी की महिला उम्मीदवार ऐसे ही चुनावी जंग लडऩे की तैयारियां कर रही हैं।
दरअसल, सऊदी अरब में दिसंबर में चुनाव होने हैं। जिनमें पहली बार महिलाओं को वोटिंग और चुनाव में खड़े होने का हक दिया गया है। लेकिन लैंगिक भेदभाव से देश फिर भी मुक्त नहीं हो पाया है। चुनाव में हिस्सा लेने का हक तो दिया साथ ही इस तरह की अजीब शर्तें भी जोड़ दीं। चुनाव में खड़ी होने जा रही सभी 366 महिला उम्मीदवारों को चेतावनी दी गई है कि नियम तोडऩे पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। चुनाव आयोग के मुताबिक महिला उम्मीदवार वोटर्स से नहीं मिल पाएंगी, उनके लिए प्रचार का काम पुरुष प्रतिनिधि करेंगे। जो भी उम्मीदवार नियमों का पालन नहीं करेंगी, उन्हें दस हजार रियाल (लगभग 1.74 लाख रु.) जुर्माना भरना पड़ेगा। साथ ही, उन्हें यह भी स्पष्ट तौर पर हिदायत दी गई है कि प्रचार संबंधी सामान पर अपना फोटो न लगाएं। चुनाव मुख्यालय में भी पुरुष और महिलाओं को अलग-अलग जगह देने का फरमान जारी हुआ है।
पुरुष उम्मीदवारों की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। चुनाव आयोग के प्रवक्ता जूडिया अल क्वैतनी के मुताबिक पुरुष उम्मीदवारों को भी प्रचार के लिए प्रतिनिधि रखने होंगे। जो उनकी नीतियों के बारे में पुरुष वोटर्स को जानकारी देंगे। यदि विज्ञापन अभियान चलाने हों तो उसके लिए खास अनुमति लेनी होगी। महिलाओं को चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति इसी साल मिली है। इसके बाद अगस्त में पहली बार सफीना अबु अल-शमत वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाली पहली महिला बनी और उसके बाद जमाल अल-सादी ने मतदाता के तौर पर रजिस्ट्रेशन करवाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया। दिसंबर में होने जा रहे चुनावों में स्थानीय निकाय परिषदों के लिए प्रतिनिधि चुने जाएंगे, लेकिन इन्हें भी सीमित अधिकार ही मिलेंगे। कमान तो राजशाही के हाथ में ही रहेगी।