नई दिल्ली। भारत ने मधेसियों द्वारा व्यापार बिंदुओं को बाधित किए जाने के बीच जेहादी तत्वों की आवाजाही, भारतीय जाली नोटों और मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिए नेपाल से लगी अपनी सुगम सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया। एक उच्च स्तरीय बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 1,751 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा की स्थिति का जायजा लिया और उन्हें सुरक्षा संबंधी वर्तमान बुनियादी ढांचे पर विस्तृत जानकारी दी गयी।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अगले छह महीनों में नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के साथ सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे और खुफिया तंत्र को बेहतर किया जाएगा। गृह मंत्रालय को लगातार ऐसी रिपोर्ट मिल रही हैं कि इस सीमा पर अक्सर भारत विरोधी गतिविधियां हो रही हैं, जिनमें जेहादी तत्वों की आवाजाही, भारतीय जाली नोटों और मादक पदाथरें की तस्करी शामिल है।
भारत उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के सीमा इलाकों में 15 किलोमीटर के दायरे में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा स्थापित कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा की पहरेदारी करने वाले सशस्त्र सीमा बल के अधिकारियों समेत शीर्ष सुरक्षा अधिकारी बैठक में मौजूद थे। नेपाल के नए संविधान को लेकर मधेसी पार्टियां के दक्षिणी तराई क्षेत्र में हिंसक आंदोलन के बाद नेपाल को जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित हुई हैं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में 40 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। बैठक में गृहमंत्री ने भारत-नेपाल सीमा संबंधी आधारभूत संरचना विकास परियोजनाओं की समीक्षा की। गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन प्रभाग ने एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें सीमा इलाकों में परियोजनाओं के लिए प्रशासनिक एवं पर्यावरण संबंधी मंजूरी को लेकर चर्चा की गयी।
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एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि बैठक में फैसला लिया गया कि गृह मंत्री इन परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए लंबित पर्यावरण मुद्दों को संबंधित मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री के समक्ष उठाएंगे। बैठक में बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सीमा सड़कों की प्रगति पर भी चर्चा की गई। सीमांत राज्यों में संपर्क एवं संचार के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।