अपराध रोकने में टीपू नहीं बन पाया सुलतान

13Fir12-13.qxpलखनऊ। देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी अपराध के मामलों में अन्य राज्यों के मुकाबले काफी आगे है। सर्वाधिक आबादी वाला राज्य होने के साथ सर्वाधिक अपराध वाला राज्य भी बनता जा रहा है। राज्य के युवा सीएम अखिलेश यादव भले ही राज्य में बुनियादी सुविधाओं की बढ़ोत्तरी की बात करते हों मगर उन्हीें बुनियादी जरूरतों में सुरक्षा भी शामिल है जिसमें वह फेल हैं। फिलहाल अपराध ब्यूरो के आकड़े तो यही कहते हैं। सही मायनों में कहें तो यूपी में अपराध रोकने में टीपू यानि अखिलेश यादव सुलतान नहीं बन सके।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 से 2014 के बीच देश भर में आम्र्स एक्ट के तहत रिपोर्ट होने वाले कुल अपराधिक मामलों में से करीब आधे मामले यूपी में दर्ज किए गए हैं। इस अवधि के दौरान देश भर में करीब 300,000 अवैध हथियार रखने के मामले दर्ज की गई है एवं इनमें से 150,000 मामले यूपी में दर्ज की गई है। इंडिया स्पेंड द्वारा जारी यह आंकड़े साफ तौर पर 200 मिलियन लोगों वाले राज्य यूपी में बंदूकों के अनुपातहीन उपलब्धता का संकेत देती है। आम्र्स एक्ट का उल्लंघन करने के मामले में 18 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश दूसरे एवं 8 फीसदी के साथ राजस्थान तीसरे स्थान पर है। यूपी में अपराध के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। आंकड़ों पर नजर डालें को सर्वाधिक आबादी वाले इस राज्य में प्रति मिलियन आबादी पर 787 अपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। इस संबंध में 747 के आंकड़ों के साथ मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रति मिलियन आबादी पर अपराधिक मामले दर्ज होने के औसत आंकड़े 250 पाए गए हैं। वर्ष 2010 से 2014 के बीच एक तरफ जहां देश भर में आम्र्स एक्ट के तहत दर्ज हुए कुल अपराधिक मामलों में से करीब आधे मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई है वहीं दूसरी तरफ इसी अवधि के दौरान राज्य में बंदूक हिंसा में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में 40 फीसदी की वृद्धी दर्ज की गई है। वर्ष 2010 से 2014 के दौरान देश भर में बंदूक हिंसा से हुई कुल हत्याओं में से 40 फीसदी हत्याएं उत्तर प्रदेश में हुई है। इस अवधि के दौरान राज्य में 6,929 हत्या के मामले दर्ज की गई है। इनमें से 90 फीसदी घटनाओं को अंजाम अवैध हथियारों द्वारा दी गई है।
यूपी में प्रति मिलियन आबादी पर बंदूक द्वारा हत्या के मामले भी सर्वाधिक दर्ज की गई है। यूपी में यह आंकड़े 34.7 प्रति मिलियन आबादी दर्ज की गई है। इस संबंध में 34.4 प्रति मिलियन आबादी के आंकड़े के साथ बिहार दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2010 से 2014 के बीच देश भर में बंदूक द्वारा हत्या के कुल 17,490 मामले दर्ज की गई है। इनमें से 89 फीसदी घटनाओं को अवैध हथियार द्वारा अंजाम दी गई है। 2010 से 2014 के बीच आम्र्स एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या के संबंध में बिहार चौथे स्थान पर है। हालांकि, देश भर में कुल हुई हत्या की घटना का एक पांचवा भाग बिहार के हिस्से ही है। यह आंकड़ा देश भर में होने वाली हत्या की घटनाओं का दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है। वर्ष 2010 से 2014 के बीच बिहार में बंदूक द्वारा होने वाली हत्या की घटानाओं में 35 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्ष 2014 में यूपी में कम से कम 24,583 बंदूकें जब्त की गई हैं। यह आंकड़े देश भर के कुल जब्त हुई बंदूकें की 44 फीसदी है। इनमें से 62 फीसदी हथियार अवैध ( देसी) हैं। इनमें से केवल 1.6 फीसदी वैध या लाइसेंस वाली बंदूकें है जबकि जब्त की गई बंदूकों में 36 फीसदी बंदूकों को अन्य प्रकार के हथियार के रूप में नामित किया गया है। वर्ष 2014 में गोला बारूद के रूप में रूप में कम से कम 31,554 टुकड़े भी जब्त की गई है।