जानिए क्यों लगाते हैं मस्तक पर तिलक

tilakफीचर डेस्क। तिलक, टीका या बिंदिया आदि का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है। मनुष्य की दोनों भोहों के बीच आज्ञा चक्र होता है। इस चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने पर साधक का मन पूर्ण शक्ति संपन्न हो जाता है। इसे हम चेतना केंद्र भी कह सकते है। समस्त ज्ञान एवम् चेतना का संचालन इसी स्थान से होता है। आज्ञा चक्र ही तृतीय नेत्र है। इस स्थान को दिव्य नेत्र भी कहा ज सकता है। तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है, जिसकी तुलना राडार, टेलिस्कोप आदि से की जा सकती है। इसके अतिरिक्त तिलक सम्मान सूचक भी है तिलक लगाने से धार्मिकता का आभास होता है।
वैज्ञानिक कारण: हम अपने मस्तिष्क से आवश्यकता से अधिक कम लेते हैं. इसका परिणाम यह होता है की ज्ञान तंतुओं का विचारक केंद्र भ्रकुटी और ललाट के मध्य भाग में वेदना होने लगती है। चन्दन ज्ञान तंतुओं को शीतलता प्रदान करता है। इसीलिए प्रतिदिन चन्दन का तिलक लगाते है जो प्राणी प्रतिदिन प्रात:काल स्नान केबाद चन्दन का लेप माथे पर करता है तो उसे सिर दर्द की शिकायत नहीं होती. उपरोक्त वैज्ञानिक तथ्यों को डाक्टर, हकीम और वैद्य सभी स्वीकार करते है।