देश में खत्म हो रही है सहिष्णुता: प्रणव मुखर्जी

pranavकोलकाता। हाल के दिनों में देश में असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं से आहत राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारत जैसे देश से सहिष्णुता और सहनशीलता का पतन होता जा रहा है, जो गम्भीर चिंता का विषय है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थानीय अखबार की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि लोगों में सहिष्णुता घटती जा रही है और विरोध के स्वर सह पाने की सहनशीलता खत्म होती जा रही है। राष्ट्रपति ने लोगों को श्री रामकृष्ण परमहंस की शिक्षा जतो मत तथो पथ यानी जितनी तरह की मान्यता, उतने तरह के पंथ की याद दिलाते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में हमें मानवतावाद और बहुलवाद को नहीं छोडऩा चाहिए। किसी चीज को आत्मसात करना भारतीय समाज की एक विशेषता है। उन्होंने कहा, हमें अपनी सामूहिक शक्ति का इस्तेमाल समाज की आसुरी शक्तियों के खिलाफ करना चाहिए। सहिष्णुता की ही देन है कि भारतीय सभ्यता पिछले पाच हजार वर्षो से बरकरार है। भारतीय सभ्यता की विशेषता है कि इसमें असहमति और मतभेद को भी जगह मिलती है। भारत में बहुलवादी सभ्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां अनेक भाषाएं और 1600 बोलियां बोली जाती हैं और अनेक धर्मो का अनुसरण किया जाता रहा है। यह भारतीय संविधान की विशेषता है कि उसमें सभी भाषाओं, धर्मो और मान्यताओं को समाहित किया गया है। दुर्गा पूजा समारोह की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने जनता को बधाई देते हुए उम्मीद जताई कि महामाया के रूप में एकत्रित सभी सकारात्मक ताकतें असुरों अथवा विभाजनकारी ताकतों को समाप्त कर देंगी।