मां कंकाली देवी : दशहरे के दिन ही होता है दर्शन

DurgaMata

रायपुर। शहर के प्राचीन कंकाली माता मंदिर के पट यूं तो साल भर खुले रहते हैं, लेकिन मां कंकाली का एक और मंदिर तथा नागा साधुओं की समाधी स्थल और शस्त्रागार दशहरे के दिन ही खुलेगा। साल में एक बार मंदिर के द्वार खुलने के कारण यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
कंकालीपारा स्थित मां कंकाली साल भर अपने भक्तों को दर्शन देती हैं, लेकिन नागा साधुओं के समाधी स्थल और उनके शस्त्रागार के साथ मां कंकाली का मायका माने जाने वाला स्थान कल केवल विजयादशमी पर्व के अवसर पर ही खुलता है। साल में केवल एक दिन ही इस विशेष स्थान के द्वार खुलते हैं, लिहाजा यहां सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। कंकालीपारा में ही मां कंकाली मंदिर के पीछे स्थित इस स्थान को मां कंकाली का मायका माना जाता है। काफी पहले इस स्थान पर नाग साधुओं ने अपना डेरा डाला था। नागा साधुओं ने इसी स्थान पर मां कंकाली की पूजा की थी, बाद में माता की प्रतिमा को वर्तमान मंदिर के पास स्थापित किया गया और इसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ। नागा साधुओं के अस्त्र-शस्त्र आज भी सुरक्षित रखा गया है और साल में केवल एक दिन दशहरे के दिन इस स्थान का द्वार खोला जाता है। चूंकि सबसे पहले मां कंकाली की पूजा इसी स्थान पर की गई थी और बाद में उसे वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया। लिहाजा इस स्थान को मां का मायका माना जाता है और इसी मान्यता के आधार पर आज भी हजारों श्रद्धालु दशहरे के दिन यहां माथा टेकने और मां के साथ ही नागा साधुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। इस स्थान पर आज भी नागा साधुओं की समाधी स्थल और इसके ऊपर बने शिवलिंग की पूजा होती है।