मुगलों के पतन का शोधपरक विश्लेषण

mugalकेवल तिवारी।
बहुत लंबे समय तक हिन्दुस्तान के बड़े हिस्से में राज करने के बाद मुगलों का अचानक पतन कैसे हो गया। पतन हो गया या फिर देश में शुरू हो चुकी जम्हूरियत की लड़ाई में वे शामिल हुए और राजशाही खत्म हो गयी। अंग्रेजों ने अपनी चालें चलीं और तब तक मुगल बादशाह को अपना मान चुकी हिन्दुस्तान की कौमों ने बहादुरशाह जफर का हर मोर्चे पर साथ दिया। जफर के बारे में इतिहास में कई बातें दर्ज हैं। उनकी रंगून में मौत, उससे पहले दिल्ली में अंग्रेजों से उनकी तल्खी, मुगल विरासत के ही लोगों से खटपट वगैरह-वगैरह। विलियम डैलरिंपल की किताब आखरी मुगल इस मायने में अद्भुत है कि वह बादशाह के खानदानी उठापटक की तस्वीर पेश करने के साथ-साथ 1857 के दौर में अंग्रेजों के खिलाफ एक होती जनता और खत्म होती बादशाहत के बीच के दस्तावेजी सबूतों को खूबसूरत अंदाज में पेश करती है।
इस किताब में इतना शोध है कि हम उसे पढ़ते हुए मुगलकाल के तत्कालीन दौर की तमाम बातों से रू-ब-रू होते हैं। किताब में जफर को तख्त मिलने का एक किस्सा है जिसमें लिखा है कि उनके पिता अकबर शाह द्वितीय चाहते थे जफर का दूसरा बदचलन भाई मिर्जा जहांगीर उनके बाद तख्त पर बैठे। 21 मार्च 1857 को उन्होंने ब्रिटिश रेजीडेंट आरचिबाल्ड सीटन को एक खत लिखा जो लगभग वैसा ही था जैसा 42 साल बाद जफर ने मिर्जा फखरू के बारे में भेजा था।
पुस्तक के छठे भाग यह तबाही और बर्बादी का दिन में हरियाणा, पंजाब समेत तमाम जगह फौजों की बगावत का ऐतिहासिकता के साथ वर्णन किया गया है। बादशाह बनने से पहले जफर के प्रति उनके वालिद की अलग राय, फिर फौज का समर्थन, अंग्रेजों से तल्खी जैसी तमाम बातों का लगातार जिक्र होते-होते तख्त से हाथ धो बैठने तक की जो ऐतिहासिक चर्चा है, वह तो रोचक और जानकारीपरक है ही, इस किताब में तत्कालीन शायरों और स्वयं जफर का समय-समय पर अपनी बातों को शायराना अंदाज में बयां करना किताब को और ज्यादा पठनीय बनाता है। इतिहास की सच्ची घटना पर पूरा शोध और फिर उसे एक नाटक के रूप में पेश करने का सचमुच यह एक अनूठा प्रयोग है। बीच-बीच में उस समय की तस्वीरें, नक्शे और दस्तावेजी अंश इसकी रोचकता में और चार चांद लगाते हैं। वास्तव में इतिहासकारिता का यह बेजोड़ नमूना है। बहादुरशाह जफर की मौत, गुपचुप तरीके से उनको सुपुर्द-ए-खाक किया जाना और बाद में उनकी कब्र पर लोगों का जाना, इन सारी घटनाओं को सहज, सरल तरीके से किताब में पेश किया गया है। अपनी शैली, तारतम्यता और शोध से यह पुस्तक बेहतरीन बन गयी है।