शांति व अहिंसा के मूल्यों की स्थापना जरूरी : अमित शाह

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि भगवान महावीर के अहिंसा एवं शांति के संदेश की आज सर्वाधिक आवश्यकता है। देश में सर्वांगीण विकास के लिए सरकार के साथ-साथ जनभागीदारी जरूरी है। जैन समाज का राष्ट्रीय एकता, अखण्डता एवं समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
श्री शाह ने अपने निवास पर सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय के सान्निध्य में आयोजित विचार संगीति में उक्त उद्गार व्यक्त किए। सुप्रसिद्ध दार्शनिक एवं प्रथम विश्व धर्मसंसद के प्रतिनिधि श्री वीरचंदजी राघवजी गांधी की 150वीं जन्म जयंती के संदर्भ में श्री शाह ने कहा कि श्री राघव गांधी के जीवन और दर्शन से प्रेरणा लेकर हम समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं। उन्होंने गणि राजेन्द्र विजयजी के प्रयासों से आदिवासी क्षेत्रों में किये जा रहे अहिंसा और समतामूलक विकास के प्रयत्नों की सराहना करते हुए कहा कि गणि राजेन्द्र विजयजी जैसे संत पुरुष ही सच्चा मार्गदर्शन कर समाज को हिंसा व भय से मुक्त कर सकते हैं।
राघवजी गांधी एवं सुखी परिवार फाउंडेशन के बारे में विस्तृत जानकारी पूर्व महामंत्री ललित गर्ग ने प्रस्तुत की। उन्होंने सुखी परिवार अभियान की प्रासंगिकता व्यक्त करते हुए कहा कि गणि राजेन्द्र विजय ने गुजरात के आदिवासी जन-जीवन में आदर्श समाज रचना की दृष्टि से व्यापक कार्य किया है। आदिवासी लोगों को हिंसा एवं नशा से से मुक्त करके अहिंसक जीवन की ओर अग्रसर किया है। सुखी परिवार अभियान के इन प्रयत्नों की आज न केवल गुजरात बल्कि संपूर्ण देश के आदिवासी अंचलों में सर्वाधिक आवश्यकता है। श्री गर्ग ने शॉल व साहित्य भेंट कर श्री अमित शाह का स्वागत किया।
सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा, कटुता एवं नफरत के जटिल माहौल में सुखी परिवार अभियान के माध्यम से देश में शांति एवं अमन-चैन कायम करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। यही वक्त है जब अहिंसक शक्तियों को संगठित होकर आदिवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में नक्सलवाद एवं आतंकवाद जैसी समस्याओं से मुक्ति एवं शांति स्थापित करने के लिए प्रयास करने चाहिए और इसी उद्देश्य को लेकर हम अहिंसक शक्तियों को संगठित कर रहे हैं। धर्म का वास्तविक लक्ष्य नफरत, घृणा एवं हिंसा पर नियंत्रण करना है न कि उन्हें बढ़ावा देना है। सुखी परिवार अभियान जैसे उपक्रमों से अहिंसा एवं समतामूलक समाज की प्रतिष्ठा हो सकती है। गणि राजेन्द्र विजय ने कहा कि हिंसा की स्थितियों पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है अहिंसा का प्रशिक्षण। गणि राजेन्द्र विजय ने संक्रांति महोत्सव के हीरक जयंती वर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि यह संक्रांति महोत्सव को आयोजित करने का उद्देश्य समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी भाईचारा निर्मित करना है। यह भी अहिंसा की साधना का एक विशिष्ट उपक्रम है। उन्होंने श्री राघवजी गांधी 150वीं जन्म जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित करने की आवश्यकता व्यक्त की। इस अवसर पर मुनिराज पुष्पेन्द्र विजयजी, सुखी परिवार फाउंडेशन से जुड़े ज्ञानचंद जैन, राहुल वत्स ने भी अपने विचार व्यक्त किए।