ई-पर्यटक वीजा योजना में नवंबर के दौरान 2713 प्रतिशत वृद्धि

नई दिल्‍ली। नवंबर 2015 में देश में ई-पर्यटक वीजा पर कुल 83,5001 विदेशी पर्यटक आए जबकि अक्‍टूबर 2014 में 2968 पर्यटक ही आए थे। इस प्रकार 2713.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। ई-पर्यटक वीजा सुविधा का लाभ उठाने वाले देशों में इंग्‍लैंड का शीर्ष स्‍थान रहा, उसके बाद क्रमश: अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी रहे। नवंबर 2015 के दौरान ई-पर्यटक वीजा की अन्‍य महत्‍वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं:- जनवरी- नवंबर 2015 के दौरान ई-पर्यटक वीजा पर कुल 3,41,683 पर्यटकों का आगमन हुआ, जबकि जनवरी-नवंबर 2014 के दौरान 24963 पर्यटकों का…

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नवंबर, 2015 में सबसे ज्‍यादा पर्यटक अमेरिका से आये

नई दिल्ली। पर्यटन मंत्रालय आप्रवासन ब्यूरो (बीओआई) से प्राप्त राष्ट्रीयता-वार एवं बंदरगाह-वार आंकड़ों के आधार पर विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) के मासिक अनुमानों का संकलन करता है। इसी तरह पर्यटन मंत्रालय भारतीय रिजर्व बैंक से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर पर्यटन से प्राप्त विदेशी मुद्रा आमदनी (एफईई) का संकलन करता है। नवंबर, 2015 के दौरान एफटीए और एफईई से जुड़ी खास बातें निम्नलिखित रहीं : विदेशी पर्यटकों का आगमन (एफटीए) : • नवंबर, 2015 के दौरान एफटीए का आंकड़ा 8.15 लाख का रहा, जबकि नवंबर 2014 में यह 7.65 लाख और…

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जानिए कहां जानवरों को महिलाएं पिलाती हैं अपना दूध

फीचर डेस्क। ब्राजील के निकट अमेजन के जंगली इलाकों में आवा ट्राइब्स नाम की जनजाति रहती है जिसके रहने का तरीका बेहद अजीबोगरीब है। यह जनजाति वहां रहने वाले जानवरों से इतनी घुली मिली है कि उनका ख्याल भी अपने पारिवारिक सदस्यों की तरह ही रखती है। इस जनजाति की महिलायें इन जानवरों को अपना दूध तक पिलाती हैं। इसके बदले में यह जानवर ऊंचे पेड़ों से इन्हें फल तोड़कर देते हैं। करीब 500 वर्ष पुरानी इस आवा जनजाति की संख्या पहले हजारों में हुआ करती थी लेकिन अब यह…

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पुरातत्व की लापरवाही से बेतरतीब पड़ी हैं बहुमूल्य संपदाएं

जगदलपुर (आरएनएस)। बस्तर में यत्र-तत्र तथा पेड़ों के नीचे प्राचीन मूर्तियां उपेक्षित पड़ी हैं। ये मूर्तियां कलात्मक होने के साथ ही नल, नाग तथा चालुक्य शासकों के समय की कलाशैली से परिचित करवाती हैं। इन पुरातात्विक मूर्तियों को सहेजने का प्रयास पुरातात्विक विभाग द्वारा कभी नहीं किया गया। इसलिए दर्जनों पुरानी मूर्तियां गायब हो चुकी हैं। बस्तर के विभिन्न ग्रामों में उपेक्षित तथा बिखरी पड़ी मूर्तियों और पुरातात्विक स्थलों को सहेेजने पुरातत्व विभाग तथा राज्य सरकार के द्वारा कोई भी कारगर प्रयास नहीं किये जा रहे हैं और न ही…

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गुमनामी के अंधकार में खोयी हुयी है आरण्यक गुफा

जगदलपुर (आरएनएस)। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण तोकापाल की आरण्यक गुफा की अनदेखी 24 सालों से हो रही है। आम पर्यटक वहां तक पहुंच सके इसके लिए न तो वन विभाग काम कर रहा है और न ही छग पर्यटन विभाग यहां सुविधांए मुहैया करवाकर इसे प्रचारित करवा रहा है। इसलिए यह भू-गर्भीय गुफा उपेक्षित पड़ी है। वर्ष 1991 में बस्तर कोच समिती के सदस्य मनीष गुप्ता, डॉ. सुरेश तिवारी, रूद्रनारायण पानीग्राही, डॉ. मरकाम और सेमसन आदि ने इस गुफा की खोज की थी। तोकापाल से 12 किमी दूर मादरकोंटा…

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