बस्तर का अनूठा दशहरा: यहां रावण नहीं मारा जाता

सुधीर जैन, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी वनांचल बस्तर के दशहरा का राम-रावण युद्घ से कोई सरोकार नहीं है। यह ऐसा अनूठा पर्व है जिसमें रावण नहीं मारा जाता, अपितु बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी सहित अनेक देवी-देेवताओं की तेरह दिन तक पूजा अर्चनाएं होती हैं। बस्तर दशहरा विश्व का सर्वाधिक दीर्घ अवधि वाला पर्व माना जाता है। इसकी संपन्न्ता अवधि पचहत्तर दिवसीय होती है। रियासत बस्तर में पितृ पक्ष मोक्ष हरेली अमावस्या अर्थात 3 माह पूर्व से दशहरा की तैयारियां शुरू हो जाती है। बस्तर दशहरा के ऐतिहासिक संदर्भ…

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एक शताब्दी पुराना बजरंग अखाड़ा बदहाली का शिकार

सुधीर जैन,जगदलपुर। शहर का बजरंग अखाड़ा धार्मिक आस्था का केंंद्र ही नहीं अपितु अच्छी शिक्षा और बजरंग अखाड़े के नाम से भी चर्चित था, किंतु रियासत खत्म होने के बाद यह ऐतिहासिक स्थल खंडहर में तब्दील हो गया है। इस अखाड़े में दांव लगाने वाले लोग इसकी दुर्दशा देखकर दुखी हो रहे हैं। शिक्षा के साथ अखाड़े में कुश्ती सीखे शहर के प्रतिष्ठत नागरिक बीएल झा 83 साल पुरानी तस्वीर दिखाते हुए कहते हैं कि पुरानी विरासत को विस्मृत करना बेमानी है। शहर के दलपत सागर चौक में स्थित भगवान…

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बस्तर के दशहरा में महाराजा की यादें

सुधीर जैन, जगदलपुर। बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा पर्व को भव्य रूप प्रदान करने में बस्तर के भूतपूर्व महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव अपने जीवन के अंतिम क्षण तक आदिवासियों के इस परंपरागत पर्व को विधान के अनुसार संपन्न करवाते रहे। उनके जीवन काल में राजमहल का सिंह द्वार हमेशा आदिवासियों के लिए खुला रहा। देवी की रथ यात्रा तथा विधानों के अनुसार पर्व संपन्न करवाना उनके दृढ़ संकल्प एवं आदर्श के रूप में आज भी याद किया जाता है। यही कारण है कि बस्तर दशहरा की चर्चा शुरू होने के साथ…

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जानिए कहां की थी विभीषण ने उच्छिष्ट गणपति की उपासना

फीचर डेस्क। परम पावन बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक औंकारेश्वर के समीप सनावद के ग्राम मोरघड़ी में स्थित है श्री शनि-गजानन शक्तिपीठ। इसी शक्तिपीठ में दर्शन होते हैं दुर्लभ और अद्भुत भगवान उच्छिष्ट महागणपति के, जिनकी गोद में भगवती नील सरस्वती विराजित हैं। उच्छिष्ट महागणपति भगवान गणेश का ही एक स्वरूप हैं, जिनके दर्शन मात्र से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। नर्मदा नदी से कुछ ही दूरी पर प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच स्थित यह मंदिर अपने आप में अनूठा है। जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करेंगे तो सर्वप्रथम…

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जानिए कहां है 15 हजार किलो सोने से बना मंदिर

फीचर डेस्क। तमिलनाडु राज्य के वेल्लोर नगर में स्थित है। यह मंदिर वेल्लोर शहर के दक्षिणी भाग में निर्मित है। इस महालक्ष्मी मंदिर के निर्माण में तक रीबन 15,000 किलोग्राम विशुद्ध सोने का इस्तेमाल हुआ है। स्वर्ण मंदिर श्रीपुरम के निर्माण में 300 करोड़ रूपए से ज्यादा राशि की लागत आई है। मंदिर के आंतरिक और बाह्य सजावट में सोने का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल हुआ है। विश्व में किसी भी मंदिर के निर्माण में इतना सोना नहीं लगा है। मंदिर का शुभारंभ अगस्त 2007 में हुआ था। रात में…

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