सुरेश हिन्दुस्थानी। कोरोना महामारी के बीच पाकिस्तान में जिस प्रकार से राजनीतिक अस्थिरता के हालात बन रहे हैं, वह निश्चित रूप से पाकिस्तानी सरकार के प्रधानमंत्री इमरान खान के समक्ष बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। भयानक त्रासदी के दौर में गुजर रहे पाकिस्तान के सामने उत्पन्न हुई इस राजनीतिक पेचीदगी के कारण ऐसा लगने लगा है कि क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान पाकिस्तानी चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं। वर्तमान में इमरान खान के समक्ष ऐसे हालात निर्मित हो गए हैं, जिसमें एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ…
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कृषि क्षेत्र में मध्य प्रदेश की अनुकरणीय प्रगति
प्रहलाद सबनानी। आज से कुछ ही साल पहिले तक मध्य प्रदेश की गिनती देश के बीमारु राज्यों की श्रेणी में की जाती थी। बीमारु राज्यों की श्रेणी में मध्य प्रदेश के अलावा तीन अन्य राज्य भी शामिल थे, यथा, बिहार, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश। इन राज्यों को बीमारु राज्य इसलिए कहा गया था क्योंकि इन राज्यों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बहुत कम थी एवं औसत प्रति व्यक्ति आय भी बहुत कम होने के चलते गऱीबी से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक…
Read Moreबिहार में 10 करोड़ की लूट
पटना। बिहार के दरभंगा जिले में बुधवार की सुबह बाइक से आए 8 अपराधियों ने 10 मिनट में 10 करोड़ रुपए के जेवरात एक ज्वेलरी स्टोर से लूट लिए। बीच शहर में दिनदहाड़े हुई इस लूट की वारदात से लोग अचंभित हैं। दुकान के मालिक सुशील लाठ के भाई संतोष लाठ ने बताया कि प्रत्येक दिन की भांति सुबह नौ बजे दुकान खुली थी। दुकान में सुशील लाठ के अलावा छह कर्मचारी थे। 10.30 बजे के करीब आठ अपराधी मुंह पर मास्क लगाए दुकान के पास पहुंचे। इनमें से तीन…
Read Moreबीपीसीएल: निजीकरण के बाद भी मिलेगी सब्सिडी
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण के बाद भी उसके 7.3 करोड़ घरेलू रसोई गैस ग्राहकों को सब्सिडी का लाभ मिलता रहेगा। कंपनी के एलपीजी कारोबार के लिये एक अलग रणनीतिक कारोबारी इकाई (एसबीयू) बनाने की योजना है। बीपीसीएल के नये मालिक को अधिग्रहण के तीन साल बाद ही कंपनी के एलपीजी कारोबार को अपने पास बनाए रखने अथवा बेचने का अधिकार होगा। एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।अधिकारी ने कहा कि तीन साल बाद भी यदि बीपीसीएल का नया…
Read Moreकिसान आंदोलन : भ्रम या राजनीति
सुरेश हिन्दुस्थानी। वर्तमान में कृषि प्रधान देश का किसान आंदोलित है, उद्वेलित भी है। इसके पीछे का कारण यदि हम सत्ताधारी दलों को मानें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि राजनीतिक दल सत्ता प्राप्त करते ही शासकों की भूमिका में आते चले गए, और देश की मूलभूत आवश्यकताओं को किनारे पर रख दिया। वास्तव में जब हम उच्चारित करते हैं कि भारत कृषि की प्रधानता के चलते ही आगे बढ़ सकता है, तब उतनी ही गति से यदि शासन स्तर पर विचार किया जाता तो किसान के समक्ष आज के…
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