डा. राधेश्याम द्विवेदी। 25 साल पहले समाजवादी जनता पार्टी से अलग होकर माननीय मुलायम सिंह जी ने नई पार्टी बनाई थी तो सजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर ने उन पर अपनी महत्वाकांक्षा के चलते धोखा देने का आरोप लगाया था. मुलायम सिंह जी का कहना था कि वे चंद्रशेखर की कांग्रेस के साथ बढ़ती नज़दीकियों से परेशान थे. इन 25 सालों में उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी ने तीन बार सरकार बनाई और केंद्र की राजनीति के केंद्र में लगातार बने रहे. किसी नई पार्टी के लिए यह छोटी उपलब्धि नहीं है….
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जिन्दगी के गुम हो गये अर्थों की तलाश
ललित गर्ग। आज महानगरीय जनजीवन एवं फ्लैट संस्कृृति की चारदीवारी में कैद आदमी जिंदगी का स्वाद ही भूल गया है। वह भूल गया है घर और मकानों के बीच का फर्क। जिन्दगी के मायने तलाशन होंगे, रंगों और ब्रश की छुअन से उकेरने होंगे ऐसे चेहरे, जो याद दिलाते रहें शांति, सौहार्द और पारिवारिक एकता की तस्वीर को। दरवाजे को देनी होगी वो थाप जो आत्मसात कर ले हर इक टकटकी को सुबह के मिलने पर। उगाने होंगे वे पौधे, जिनकी टहनियों से छनती सूरज की रोशनी बदल दे दोपहरी…
Read Moreयमुना की प्रदूषण मुक्ति पर राजनीति न हो
ललित गर्ग। लंबे समय से दिल्ली न केवल वायु प्रदूषण से बल्कि राजनीतिक प्रदूषण से भी दूषित है। आम जनजीवन की जिंदगी की परवाह किसी को नहीं है। वायु प्रदूषण, यमुना का लगातार दूषित होना, जानलेवा बीमारियों का हावी होना, दीपावली पर आतिशबाजी का धुआं होना, पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब द्वारा पराली जलाने, सड़कों की दुर्दशा- ऐसी समस्याएं हैं जो दिल्ली के जनजीवन को धुंधला रही है, पीडि़त कर रही है। ऐसा लगता है दिल्ली का कोई माई-बाप नहीं है, दिल्ली की कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं…
Read Moreमुठभेड़ पर स्वार्थ की राजनीति और पुलिस
ललित गर्ग । दीपावली की अगली सुबह देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली भोपाल सेंट्रल जेल से आठ कैदियों के भागने की खबर आई, फिर थोड़ी ही देर बाद पता चला कि वे सभी एक पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। ये आठांे कैदी प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कार्यकर्ता थे और इन पर आतंकवादी गतिविधियों के संगीन आरोप थे। इनमें से तीन पहले भी खंडवा जेल से भाग चुके थे। इन हालातों में जाहिर है, जेल में इन पर खास नजर रखी जा…
Read Moreदीये मुंडेर पर ही नहीं, घट में भी जलने चाहिए
ललित गर्ग। दीपावली मनाने की सार्थकता तभी है जब भीतर का अंधकार दूर हो। दीया घर की मुंडेर पर ही नहीं, घट में भी जलाने की जरूरत है। अंधकार जीवन की समस्या है और प्रकाश उसका समाधान। जीवन जीने के लिए सहज प्रकाश चाहिए। प्रारंभ से ही मनुष्य की खोज प्रकाश को पाने की रही। असली प्रकाश मनुष्य के घट यानी हृदय में ही है, उसे पाने के लिये बाहर नहीं, भीतर की यात्रा करनी होगी। हमारे मनीषियों ने हमारी संस्कृति में ‘तमसो मा ज्योतिर्गमयÓ का संबोध दिया है। हर…
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