ललित गर्ग। मुंबई की सुप्रसिद्ध हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ कर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। यह मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की तरफ एक बड़ा कदम तो है ही, साथ-ही-साथ नारी के सांविधानिक अधिकारों का हनन को रोकने का भी एक सराहनीय कदम है। यह नारी को रूढ़-धार्मिक संस्कारों एवं विडम्बनापूर्ण मानसिकता से मुक्ति दिलाने का भी सशक्त माध्यम बनकर प्रस्तुत होगा। दरगाह प्रबंधक से जुड़े लोग भी अगर इस फैसले को सकारात्मक रूप से लेने की कोशिश करेंगे,…
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वर्तमान शिक्षा पद्धति या गुलामी की पाठशाला
सपना मांगलिक। कल मेरे घर पर एक विवाह समारोह का आमंत्रण आया । आमंत्रण पत्र में मुझे जो सबसे ज्यादा लुभाता है वो है बाल मनुहार श्मेली बुआ या चाचा की छादी में जलूल जलूल आना जी श्और कार्ड पर लिखे समस्त घर के बुजुर्गवार और जिम्मेदार रिश्तेदारों के नाम एसबसे ऊपर लिखी विघ्न विनाशक की वन्दना ।मगर इस आमंत्रण पत्र में न तो बाल मनुहार था एन रिश्तेदारों के नाम और न ही गणेश वन्दना एफिरंगी जवान में लिखा यह आमंत्रण मुझे किसी अंग्रेजी कोर्ट नोटिस जैसा ही मालूम…
Read Moreमदर टरेसा: शांति एवं सेवा का शंखनाद
ललित गर्ग। माँ दुनिया का सबसे अनमोल शब्द है। एक ऐसा शब्द जिसमें सिर्फ अपनापन, सेवा, समर्पण और प्यार झलकता है। माँ हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखती है। माँ शब्द जुबान पर आते ही एक नाम सहज ही सामने आता है और वह हैं मदर टरेसा का। कलियुग में वे मां का एक आदर्श प्रतीक थी जो आज भी प्रेम की भांति सभी के दिलों में जीवित हैं। वे मानव बनकर संसार में आई। उनके जीवन की कहानी आकाश की उड़ान नहीं है। उनके स्वर कल्पना की लहरियों…
Read Moreश्रीकृष्ण हैं भारतीय संस्कृति के महानायक
ललित गर्ग। सभ्यता और संस्कृति की विकास यात्रा का एक नाम है श्रीकृष्ण। वे हमारी संस्कृति के एक अद्भुत नायक हैं। उन्होंने मनुष्य जाति को नया जीवन-दर्शन दिया। जीने की शैली सिखलाई। उनकी जीवन-कथा चमत्कारों से भरी है, लेकिन वे हमें जितने करीब लगते हैं, उतना और कोई नहीं। वे ईश्वर हैं पर उससे भी पहले सफल, गुणवान और दिव्य मनुष्य है। ईश्वर होते हुए भी सबसे ज्यादा मानवीय लगते हैं। इसीलिए श्रीकृष्ण को मानवीय भावनाओं, इच्छाओं और कलाओं का प्रतीक माना गया है। वे अर्जुन को संसार का रहस्य…
Read Moreसफल जीवन के लिये विश्वास से भरा मन जरूरी
ललित गर्ग। हम जीवन खुशनुमा तभी बना सकते हैं जब हमारा जिन्दगी के प्रति सकारात्मक नजरिया होता है। हर व्यक्ति की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अपने जीवन में सफलता की उच्चतम ऊंचाइयों को छूना चाहता है। उसकी यह नैसर्गिक आकांक्षा होती है कि उसे मनचाही वस्तु मिले, मनचाहा पद मिले, मनचाहा जीवन साथी मिले, मनचाहा मान-सम्मान प्राप्त हो, मनचाही गाड़ी, बंगला कोठी, कार का सुख मिले इत्यादि। किन्तु ऐसा सौभाग्यशाली व्यक्ति कोई बिरला ही होता है जिसकी अधिकांश कामनाओं की पूर्ति संभव हो जाए। पर मेरी दृष्टि में…
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