चुनावी आहट में आत्माएं

सुरजीत सिंह। चुनाव आते हैं तो वोटर, वोटिंग के दिन तक नहीं जागता, लेकिन आत्माओं में चुनाव की आहट पाते ही भगदड़ मच जाती है। यूपी में चुनाव सन्निकट हैं। सेफ नेताई तन में कहीं पांच साल से शीत निद्रा में लेटी आत्माएं जाग रही हैं और शरीर (पार्टी) बदलने को कटिबद्ध हैं। बड़ी धमक है। ऐसे वक्त आत्माएं दार्शनिक टाइप हो जाती हैं। असल चीज आत्मा है। आत्मा परिवर्तनशील है, गतिशील है। शरीर तो निमित्त मात्र है। आत्मा तो एक दिन परमात्मा से मिलेगी। चुनाव के वक्त परमात्मा किसी…

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ढलती उम्र को पलायनवादी न बनने दें

ललित गर्ग। उम्र के हर लम्हें को जीभर कर जीना चाहिए और उनमें सपनों के रंगों की तरह रंग भरने चाहिए, हर पीढ़ी सपने देखती हंै और उन सपनों में जिन्दगी के रंग भरती है। ढलती उम्र के साथ विश्वास भी ढलने लगता है, लेकिन कुछ जीनियस होते हैं जो ढलती उम्र को अवरोध नहीं बनने देते। वे अक्सर एक कदम आगे की एवं नयेपन की सोचते हैं। इसी नए के प्रति उनके आग्रह में छिपा होता है विकास का रहस्य। कल्पनाओं की छलांग या दिवास्वप्न के बिना हम संभावनाओं…

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क्या पाकिस्तान विभाजन की ओर जा रहा है?

सुरेश हिन्दुस्थानी। पाकिस्तान की ज्यादती के विरोध में ब्लूचिस्तान में उठ रहीं आवाजों में आज एक और स्वर शामिल हो गया। अब सिंध प्रांत में भी पाकिस्तान से आजादी प्राप्त करने की आवाजें सुनाई देने लगीं हैं। इससे हो सकता है कि पाकिस्तान अपनी स्वयं की करनी के कारण टूट कर बिखर जाए। वर्तमान में पाकिस्तान के कई प्रांतों में भारतीयता की झलक देखने को मिल जाती है। इसलिए कहा जा सकता है कि पाकिस्तान स्वाभाविक रुप से आज भी भारत का ही अंग है। पाकिस्तान ने बार-बार कश्मीर बोला,…

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एक जीवंत परम्परा को झुठलाने की साजिश

ललित गर्ग। जैन मुनि तरूणसागरजी पर कांग्रेस के तहसीन पूनावाला एवं आम आदमी पार्टी के प्रचारक एवं डायरेक्टर और गायक विशाल डडलानी की अशोभनीय एवं निन्दनीय टिप्पणियों ने न केवल जैन समाज को बल्कि सम्पूर्ण धार्मिक जगत को आहत किया है। अहिंसा को जीने वाले जैन मुनि के प्रति ट्विटर पर की गयी टिप्पणी ने जन-आस्था को झकझोर दिया है। इस प्रकार की उद्देश्यहीन, उच्छृंखल, विध्वंसात्मक टिप्पणियों के द्वारा किसी का भी हित सधता हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता। बल्कि इस तरह की टिप्पणियों में एक जीवंत परम्परा को झुठलाने…

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जैन समाज का महाकुंभ पर्व है पर्युषण

ललित गर्ग। भारत पर्वों और त्यौहारों का देश है, उनमें न केवल भौतिक आकर्षण से पर्व है बल्कि आत्म साधना और त्याग से जुड़े पर्व भी है। एक ऐसा ही अनूठा पर्व है पर्युषण महापर्व । यह मात्र जैनों का पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौम पर्व है, मानव मात्र का पर्व है। पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है, क्योंकि इसमें आत्मा की उपासना की जाती है। संपूर्ण संसार में यही एक ऐसा उत्सव या पर्व है जिसमें आत्मरत होकर व्यक्ति आत्मार्थी बनता है व…

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