ललित गर्ग। दुनिया में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जिसने दुख न भोगा हो। हर व्यक्ति कभी सुख और कभी दु:ख भोगता रहता है। एक गाड़ी के दो पहिये की भांति सुख दु:ख साथ-साथ चलते हैं। यह भी बड़ा सत्य है कि आदमी सुख चाहता है, दु:ख नहीं। चाही वस्तु मिले तब तो ठीक बात है पर अनचाही वस्तु मिलती है तब प्रश्न होता है कि यह दु:ख कहां से आया? आदमी सुख चाहता है, सुख के लिए प्रयत्नशील रहता है, सामग्री भी सुख की जुटाता है फिर दु:ख…
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स्टार्टअप: नये दौर की नयी सोच
ललित गर्ग। स्टार्टअप इंडिया-भारत के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य की एक नई सुबह की आहट है। बिजनेस के नए आयडियाज तलाशना और दुनिया में भारत के व्यापार को नई पहचान देना ही स्टार्टअप की ओर पहला कदम है। ये स्टार्टअप ही टेक्नोलॉजी और बड़े निवेशक के आयडिया को बड़े स्तर पर ले सकते हैं। भारत में पिछले पांच वर्षों में कई बेहतरीन स्टार्टअप्स शुरू हुए हैं जिन्होंने बाजार का रुख ही बदलकर रख दिया है। स्टार्टअप विभिन्न क्षेत्रों में उभर रहे हैं। व्यापार की नवीन दिशाओं को उद्घाटित करने साथ-साथ…
Read Moreकैसे रुकेगा पहाड़ों से पलायन
सिद्धार्थ झा। प्रधानमंत्री जी वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित करना चाहते हैं हैं गौरतलब है की वर्ष 2022 में हिन्दुस्तान की आजादी के 75 साल पूरे होंगे। लेकिन पहाड़ी क्षेत्रो के किसानो की जि़ंदगियों को जब जब भी जानने का मौका मिला है ऐसा लगता है की वहाँ का किसान आज भी लगभग सौ साल पीछे की जिंदगी ज़ी रहे हैं ऐसा नहीं है की सरकारी नीतियाँ नहीं बनी हैं इनके विकास के लिए/ गौर से देखेंगे तो योजनाओ का अंबार…
Read Moreमहावीर हैं जीवन की सार्थकता के प्रतीक
ललित गर्ग। महावीर का संपूर्ण जीवन स्व और पर के अभ्युदय की जीवंत प्रेरणा है। लाखों-लाखों लोगों को उन्होंने अपने आलोक से आलोकित किया है। इसलिए महावीर बनना जीवन की सार्थकता का प्रतीक है। प्रत्येक वर्ष भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती हम मनाते हैं। समस्त विश्व में जैन समाज और अन्य अहिंसा प्रेमी व्यक्तियों द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ उनकी जयंती मनाई जाती है। उस दिन भगवान महावीर की शिक्षाओं पर गोष्ठियां होती हैं, भाषण होते हैं और कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। भगवान महावीर की शिक्षाओं…
Read Moreअंधेरे के खिलाफ उजाले की मुहिम
प्रमोद भार्गव। मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि व्यक्ति का जीवन उल्लास व आनंदमय हो, इस हेतु खुशी मंत्रालय का गठन करेंगे। मंत्रालय का अंतिम नाम अभी सुनिश्चित नहीं है। जीवन-यापन की कठिन होती जा रही आपाधापी में बड़ी संख्या में लोग अवसाद और मनोरोगों की गिरफ्त में आ रहे हैं। लिहाजा व्यक्ति में विकार मुखर हो रहे हैं। इन पर नियंत्रण के लिए यदि कोई संस्थागत ढांचा अस्तित्व में आता है तो निश्चय ही यह स्वागतयोग्य पहल है। लेकिन लोककल्याण से जुड़ी संस्थाएं जिस तरह से नौकरशाही…
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