उत्तर प्रदेश को चाहिए अर्जुन की आंख

ललित गर्ग। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे निकट आते जा रहे हैं, विभिन्न राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ती जा रही है। प्रान्त में चुनाव का माहौल गरमा रहा है। अभी से विभिन्न राजनीतिक दल भावी नेतृत्व के विकल्प की खोज शुरू करें, जो देश के सबसे बड़े प्रान्त को सुशासन दे सके। जो पार्टियां सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशते हुए अपने को ही विकल्प बता रही हैं, उन्हें उम्मीदवार चयन में सावधानी बरतनी होगी। इसमें नीति और निष्ठा के साथ गहरी जागृति की जरूरत है। इधर मतदाता सोच…

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मिल-बैठकर समाधान खोजने का वक्त

अनूप भटनागर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर ने भावुक होकर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने के अनुरोध किया। इसके साथ ही अदालतों में लंबित तीन करोड़ से अधिक मुकदमों, न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के रिक्त स्थान और जनसंख्या के अनुपात में न्यायाधीशों और अदालतों की संख्या में वृद्धि नहीं किये जाने का मसला एक बार फिर न्यायिक सुधारों की चर्चा का केन्द्र बिन्दु बन गया है। इसमें दो राय नहीं है कि न्यायमूर्ति जे. एस. खेहड की अध्यक्षता वाली संविधान…

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भारत-पाक आधिकारिक वार्ताओं का छलावा

एस. निहाल सिंह। भारत-पाक के बीच वार्ताओं का हश्र ज्यादातर ‘अंंधे के साथ आंख-मिचौलीÓ खेलने जैसा हो जाता है। पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी को भारत द्वारा उनके समकक्ष एस. जयशंकर से बातचीत के लिए आमंत्रण देने के पीछे मंतव्य वार्ता की प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने का था। इस बातचीत के नतीजे को लेकर अपेक्षाएं वैसे भी ज्यादा नहीं थीं क्योंकि दोनों देशों में यही घिसे-पिटे सुर अलापे जा रहे थे-आतंक को रोका जाए और कश्मीर का मुद्दा वार्ता का मुख्य केंद्र बिंदु है। अलबत्ता…

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टैक्स का छोटा दायरा

देश में निजी करदाताओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी घटी है। यह एक ऐसी गुत्थी है, जिसका कोई हल देर-सबेर खोजना ही होगा। देश के इतिहास में पहली बार जारी किए गए इनकम टैक्स के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2011 में आयकर के दायरे में आने वालों की संख्या चार करोड़ थी, जो 2014 में बढ़कर पांच करोड़ से कुछ अधिक हो गई है। इनमें एक बड़ी तादाद उन लोगों की है, जिनके लिए टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी नहीं है। इनसे ऊपर के…

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बिहार का प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर दोहराने को आतुर नीतिश

कृष्णमोहन झा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के एक फैसले ने सारे राष्ट्र का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी सरकार ने बिहार में देशी एवं विदेशी शराब की बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। यद्यपि यह फैसला राज्य में सत्तारूढ़ इस महागठबंधन की सरकार ने किया है जिसमें राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस शामिल है परन्तु राज्य में पूर्ण शराब बंदी को लागू करने की असली पहल मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की ओर से ही प्रारंभ हुई थी। इस तरह नीतिश कुमार ने अब यह…

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