योगी राज: बजट में किसानों का 36 हजार करोड़ का कर्जमाफ

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज विधानमंडल के मानसून सत्र में अपना पहला बजट पेश किया। विधान भवन में सरकार ने कुल तीन लाख 84 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश किया। इसमें 36 हजार करोड़ रुपया किसानों की कर्ज माफी के लिए रखा गया है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के बजट सत्र के पहले दिन के पहले सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही आज विपक्ष ने एकजुट होकर हंगामा शुरू कर दिया। विधानसभा व विधान परिषद की कार्यवाही पहले सत्र में बाधित होने के बाद वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट पेश किया। वित्त मंत्री सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आए थे।वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले बजट को विधानसभा में पेश किया। 3.84 लाख करोड़ का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री का लक्ष्य है कि अगले पांच साल में प्रदेश की विकास दर 10 प्रतिशत हो। राजेश अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश का वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 3 लाख 84 हजार 659 करोड़ का बजट है। इसमें दीन दयाल उपाध्याय नगर विकास योजना के लिए 300 करोड़ तथा मलिन बस्ती विकास योजना के लिए 385 करोड़ का बजट है। बजट में किसानों के सशक्तिकरण की योजना बनाई गई है। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में 1 लाख 50 हज़ार पुलिस कर्मियों की भर्ती की योजना है अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति के लिए 791 करोड़ 83 लाख का बजट है। गोरखपुर में लोक मल्हार और अयोध्या में सावन झूला पर विशेष आयोजन होंगे। बजट में स्कूल में बच्चों के बैग के लिए 100 करोड़ की व्यवस्था की गई है। इसके साथ शौचालय निर्माण के लिए 3255 करोड़, इसमें स्कूल में बनने वाले शौचालय भी शामिल, सर्व शिक्षा अभियान के लिए 19444 करोड़, मिड डे मील के लिए 2054 करोड़, माध्यमिक शिक्षा के लिए 551 करोड़, उच्च शिक्षा के लिए 191 करोड़, ओबीसी हॉस्टल के लिए 52 करोड़ तथा मान्यता प्राप्त मदरसों के आधुनिकीकरण के 394 करोड़ रुपए बजट में रखे गए हैं। पहले विधान परिषद की कार्यवाही को स्थगित किया गया। इसके कुछ देर बाद ही विधानसभा की कार्यवाही को भयंकर शोर-शराबे के कारण स्थगित किया गया। दोनों सदन की कार्यवाही को दिन में 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। 11 बजे जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई विपक्षी दलों के सदस्यों ने वेल में आकर हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच सपा के विधायक सदन के भीतर ही धरने पर बैठ गए। विपक्षी दलों के सदस्य प्रदेश की कानून व्यवस्था और किसानों के मुद्दे को लेकर हंगामा कर रहे थे।जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ह्रदयनारायण दीक्षित ने सदस्यों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद अध्यक्ष ने विधानसभा 12.15 बजे तक स्थगित कर दी।इससे पहले विधान परिषद की कार्यवाही भी विपक्ष के हंगामे के चलते 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन में आज पहले ही दिन हो रहे हंगामे तथा नारेबाजी पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि विपक्ष सदन का समय खराब कर रहा है।संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सरकार डंके की चोट पर काम कर रही है। विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा कि आज विपक्ष के व्यवहार से आहत हूं। उन्होंने कहा कि सदन में इस प्रकार की नारेबाजी सदन की गरिमा के विपरीत काम है।विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहा है। विधानमंडल के योगी सरकार के बजट सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने कमर कस ली थी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी ने रायबरेली कांड के साथ प्रदेश में ध्वस्त हो चुकी कानून-व्यवस्था पर जमकर नारेबाजी की। विधान भवन में जमकर हंगामे के बीच विपक्षी दलों ने पोस्टर तथा बैनर लहराए। विधानसभा में समाजवादी पार्टी के विधायकों ने योगी सरकार से शराब बंदी की मांग करने के साथ ही सरकार को दलित व अल्पसंख्यक विरोधी बताया। विधान परिषद में कांग्रेस ने किसानों के पूरे कर्ज माफी को लेकर तख्तियां लहराईं। विधान परिषद में भी आज समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने खराब कानून-व्यवस्था को लेकर हंगामा किया। विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा और पोस्टर लहराए। सपा-कांग्रेस विधायक सदस्यों के हाथ में रायबरेली हत्याकांड के विरोध में तख्तियां थीं। वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने विधानभवन में बजट प्रस्तावों पर अपने दस्खत कर उसे औपचारिक मंजूरी दी। राजेश अग्रवाल ने कहा कि यह बजट सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाए के लिए है। हमारा बजट समाज के सबसे निचले तबके को केंद्र में रख कर बनाया गया है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का रंग और गाढ़ा करते हुए कई मदों में पैसा रखा जाएगा। गरीबों के लिए पांच रुपये भोजन वाली कैंटीन भी शुरू होगी। पर, इन सबसे बढ़ कर किसानों की कर्जा माफी की राह आसान करने के लिए 36000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम का बंदोबस्त किया जाएगा। असल में बजट में सबसे ज्यादा रकम तो अकेले इसी काम के लिए रखी गई है। इस कारण संभव है कि कई क्षेत्रों को पहले बजट में उतनी प्राथमिकता न मिले जितनी अपेक्षित है। खास तौर पर इंफ्रास्ट्रक्चर वाली योजनाएं। इनमें कुछ के लिए तो सरकार ने अलग से कर्जा दिलाने का इंतजाम पहले ही कर दिया है। इनमें सडक़ निर्माण व दूसरी योजनाएं शामिल हैं। पांच साल तक जनता ने समाजवादी रंग में रंगे बजट को देखा परखा। इससे पहले बसपा सरकार का रंग इस पर चढ़ा। कोई चौदह पंद्रह साल पहले भाजपा की सरकार यूपी का बजट लाई थी। उसके बाद तो सपा बसपा की सरकारें बजट लाती रहीं। इन सब पर सरकारों की अपनी अपनी छाप रही है। डॉ अम्बेडकर, राम मनोहर लोहिया और अब दीन दयाल उपाध्याय। तीन सरकारों ने अपने बजट में इन्हीं महापुरुषों के विचारों को केंद्र में रखा है। बजट में खास बात यह कि पिछली सरकार की समाजवादी नाम वाली तमाम योजनाओं से तौबा कर ली गई है। इनकी जगह योजनाओं के नाम में मुख्यमंत्री जुड़ गया है। समाजवादी पेंशन योजना खत्म हो गई है। एकात्म मानववाद के प्रण्ेाता पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर कई योजनाओं की शुरुआत होगी। बजट में इसके लिए पैसा भी रखा जाएगा।