पांच पर्वों का महापर्व है दीपावली

diwali pooja

फीचर डेस्क। हिन्दू धर्म में चार त्यौहार प्रमुख माने गये हैं-रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली तथा होली। यह चारों त्यौहार चार वर्णों क्रमश: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों के कहे जाते हैं पर इन त्यौहारों के दौरान वर्ण की यह दीवार गिर जाती है।
कार्तिक मास की अमावस्या को मनाये जाने वाले त्यौहार दीपावली का माहौल वैसे तो दशहरा के बाद से ही बनने लगता है, पर इसकी विधवत शुरूआत दीपावली के 12 दिन पूर्व पडऩे वाले करवाचौथ नामक व्रत से हो जाती है, जब सुहागिनें अपने पति की कुशलता एवं दीर्घायु के लिये व्रत करती हैं। दीपावली शब्द दीप तथा अवली-दो शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली के दिन लोग रात को प्रकाश करने के लिये दीपों की पंक्तियों से घरों को सजाते हैं। इस त्यौहार से वैसे तो अनेक पौराणिक कथाएं हैं एवं किवदंतियां जुड़ी हैं किन्तु प्रचलित कथा के अनुसार आज के ही दिन भगवान श्री राम लंकापति रावण को मारकर 14 वर्षों बाद जब अयोध्या लौटे तो उनके आगमन पर अयोध्यावासीयों ने हर्षोल्लास से दीप जलाकर उनका स्वागत किया। दीपावली को पांचो पर्वों का महापर्व भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पांच पर्व समाहित होते हैं।
क्यों होती लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा
भारतीय संस्कृति में दीपावली के पर्व पर धन की देवी लक्ष्मी जी के साथ विध्नविनाशक गणेश जी की पूजा होती है, जब कि हमारी संस्कृति के अनुसार लक्ष्मी की पूजा विष्णु के साथ होनी चाहिये। वास्तव में दीपावली के अवसर पर हम गणेश-लक्ष्मी की पूजा धन एवं समृधि के लिये करते हैं। धन की देवी लक्ष्मी हैं जबकि गणेश बुद्धि के देवता है। चंूकि बिना बुद्धि के धन की प्रप्ति निरर्थक इसलिये यह नियम बनाया गया कि धन की देवी लक्ष्मी की पूजा बुद्धि के देवता गणेश के साथ ही की जाय ताकि बुद्धिहीनता के चलते धन का दुरूप्योग न होने पाये।लक्ष्मी गणेश पूजन की कई किवदन्तियां हैं जिनमें से प्रमुख एक कथा के अनुसार एक राजा किसी लकड़हारे को चंदन का जंगल भेंट में दे दिया था किन्तु लकड़हारा चंदन के गुण और महत्व से अनभिज्ञ था इसलिये उसने उस जंगल को काट कर जला दिया और अपनी अज्ञानता के कारण फिर से गरीब हो गया। यह देख कर राजा समझ गया कि बिना बुद्धि के धन का उपयोग नहीं किया जा सकता कहते हैं कि तभी से ही लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा होने लगी और तभी से इसने परम्परा का रूप ले लिया।