बाबूजी धीरे चलना क्योंकि ये हैं हादसों के हाईवे

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विचार डेस्क। वैसे तो यह आंकड़ा चौंकाता है कि देश में हर साल करीब डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा देते हैं। मगर चिंता की बात यह भी है कि हरियाणा के हाईवों पर दुर्घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा देश में दूसरे नंबर पर है। सड़कों की दशा सुधरने के बाद वाहनों की गति सीमा तो बढ़ी है मगर दुर्घटनाओं में भी इजाफा कर गई है। राजमार्गों पर होने वाली कुल 46 हजार मौतों में हरियाणा का आंकड़ा तकरीबन तेरह फीसदी है। दरअसल रफ्तार की आजादी ने यातायात की वर्जनाएं भी लांघी हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अकसर किसी दुर्घटना के मूल में मानवीय लापरवाही ही उजागर होती है। पिछले दशक में मध्य वर्ग के उदय के बाद चार पहिया वाहनों का क्रेज बढ़ा है। आसान ऋण सुविधाओं ने इसे विस्तार दिया है। पेशेवर चालक व शौकिया चालक के वाहन चलाने के फर्क ने स्थिति को जटिल बनाया है। कहीं न कहीं सड़कों पर अतिक्रमण, वाहनों को आड़े -तिरछे कहीं भी खड़ा कर देना, हाईवे के किनारे शराब की दुकानों और ढाबों पर लगने वाला वाहनों का जमावड़ा भी कई बार दुर्घटनाओं का सबब बनता है।
चालकों को लाइसेंस देने में बरती गई कोताही और नशे के चलते भी इन दुर्घटनाओं में खासा इजाफा हुआ है। अभी हाल ही में बांग्लादेश से समाचार आया कि सरकार ने हाईवे पर तिपहिया वाहनों के चलने पर रोक लगा दी है। कमोबेश हरियाणा के हाईवे पर एक जटिल समस्या यही है कि इन पर दुपहिया, तिपहिया वाहनों के अलावा ट्रैक्टर ट्राली, भैंसा बुग्गी से लेकर जुगाड़ तक यातायात में अवरोध पैदा करते हैं। ऐसी खबरें घनी जनसंख्या वाले लुधियाना को लेकर भी आती रही हैं। यहां के हाईवे को दुर्घटना की आशंका वाले क्षेत्रों में चिन्हित किया गया है। यहां दुर्घटनाओं में मरने वालों का आंकड़ा पंजाब में अव्वल है। पंजाब में लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं के मद्देनजर सरकार ने यातायात के नियमों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है। दरअसल हाईवे के निर्माण से सड़कें चौड़ी हुईं तो रफ्तार के मोह में चालक तेज रफ्तार और ओवरटेकिंग को शान समझने लगे। सुरक्षित वाहन चालन की एकाग्रता, ट्रेफिक नियमों का सख्ती से पालन, पुलिस की सख्ती और चौकसी से ही दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है।