लोग दुखी, सोशल मीडिया में बच्चों की मौत पर घिरी योगी सरकार

Rajendra Tiwari
 · Patna · 

गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में बच्चों की मौत से सभी द्रवित होंगें सिवाय उनके जो इसे एक अवसर मान रहे हैं सरकार पर हमलावर होने का गोया बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा हो। मेडिकल डिपार्टमेंट की बदहाली और निकम्मापन न तो नया है और न ही किसी से छुपा हुआ है। बीआरडी कॉलेज भी इसका अपवाद नहीं होगा। बहरहाल इस मामले में कुछ चीजों पर गौर करना होगा तभी सूरते हाल समझ आएगी। लिक्विड ऑक्सीजन की कमी दस अगस्त रात आठ बजे सामने आयी और यह मामला 11 अगस्त को सार्वजानिक हुआ और यह भी सामने आया कि पांच दिनों में 64 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसका मतलब हुआ कि 10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन समाप्त होने के पहले से बच्चे प्राण गंवा रहे थे जानलेवा जेई के चलते हालांकि जिन घंटों के दौरान ऑक्सीजन की अनुपलब्धता की बात सामने आ रही है उस दौरान इस कारण हुई मौतों के लिए अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। बहरहाल ये रिपोर्ट करना कि ऑक्सीजन की कमी से 64 बच्चों की मौत हो गयी सत्य से परे है। मौत तो दुखद होती ही है लेकिन इसकी आड़ में हताश और निराश लोगों और मीडिया के एक वर्ग द्वारा जिस भाव में प्रतिक्रिया दी जा रही है वह तो और भी मायूस करने वाली है। मुझे विपक्ष खासकर कांग्रेस की तत्परता को देखकर भी थोड़ा विस्मय हुआ। कैसे गुलाम और उसके साथी गोरखपुर पहुंच गए। तैयार स्क्रिप्ट के अनुसार बोले और रफू हो लिए। टीपू अपनी पीठ ठोकते रहे। कैसे अचानक जेई से सामान्य दर से होने वाली मौतें ऑक्सीजन की कमी के हवाले हो गईं। कैसे जिस दिन लिक्विड ऑक्सीजन ख़त्म हो रही थी उसी तारिख को सप्लाई करने वाली फर्म ने बकायेदारी की बाबत पत्र लिखा। ये सब बातें भी जांच के दायरे में आनी चाहिए। दिल्ली से आकर इस्तीफ़ा मांगने वालों को भोपाल की गैस त्रासदी भी याद करनी चाहिए और बताना चाहिए कि उन्होंने हजारों लोगों की मौत के जिम्मेदार एंडरसन को कैसे भागने दिया और हजारों लोगों की मौत के बाद कितने इस्तीफे हुए थे। कांग्रेस का अतीत ऐसा है कि उससे नैतिकता की बात सुनते ही हंसी भी आती है और क्रोध भी।
अंत में यही उम्मीद करूंगा कि दुखद घटना के किए महकमे के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोरतम दंडात्मक एक्शन होना चाहिए।

Prem Shanker Mishra सप्लाई करने वाली फर्म ने 1 अगस्त को पत्र लिखा था। 10 की सुबह 11 बजे मेडिकल के ऑक्सीजन पाइप लाइन विभाग के कर्मचारी ने लिखा कि कुछ घण्टों की ऑक्सीजन बची है। बात इस दौरान हुई 36 बच्चों सहित 54 मौतों की हो रही है। पिछले 20 दिन से स्थानीय अखबार यह मामला लिख रहे थे। इस सप्ताह भी लगातार इस खतरे को चेताया गया पर नतीजा सिफर रहा। कांग्रेस ने भोपाल किया था बीजेपी को उसको दुहराने का लाइसेंस देकर जनता ने कुर्सी पर नहीं बिठाया।

भारत रक्षा मंच उ.प्र. योगी आदित्यनाथ जी को नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि लगातार सांसद रहते हुऐ,?मुख्यमंत्री हुऐ भी 4 माह हो गये फिर भी बेसिक समान के अभाव में मासूमो की जान चली गईं,

Arvind Singh बड़े अधिकारियों में योगी का खौफ नहीं है। सिर्फ छोटे स्तर के अधिकारी डरते हैं। वजह योगी आईएएस व आईपीएस अधिकारियों पर हद से ज्यादा निर्भर हो गये हैं। जब तक दो चार आईएएस, आईपीएस को निलंबित नहीं करेंगे तब तक हालात नहीं बदलेंगे।

मुख्य मंत्री योगी जी इस बात को मान क्यों नही रहे हैं कि शासन सख्ती से चलता है ढ़िलाई से नहीं . लोगों को उनसे बहुत उम्मीद है, उनको निराश न करें .
.
योगी जी चारों तरफ ऐसे लोगों से घिरे हैं जो उन्हें किसी भी तरह से असफल करना चाहते हैं . इसमें कुछ समाजवादी सरकार से उपकृत अधिकारी भी हैं और कुछ उनके मंत्री भी हैं . भाजपा के लोग भी हैं .

इस विधान सभा चुनाव में पूरे प्रदेश में हर वोट मोदी जी के नाम से पड़े थे . इसमें भाजपा की कोई भुमिका नहीं थी . भाजपा यादि यह चुनाव लड़ती तो सौ सीटें भी नहीं मिल पातीं . उन भाजपाईयों के गलत कामों के लिये पुलिस अधिकारियों को सजा ना दें .