मोदी का नया चुनावी हथियार बनेगा फ्री इंटरनेट

 

नई दिल्ली। पीएम मोदी आम चुनाव से पहले डिजिटल इंडिया को प्रमोट करने और ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को लुभाने के लिए बड़ा दांव खेल सकते हैं। मोदी सरकार लोगों को फ्री डेटा देने की योजना की संभावना तलाश रही है। सूत्रों के अनुसार टेलीकॉम मिनिस्ट्री इस पर काम कर रही है। लगभग एक साल के लंबे विचार-विमर्श के बाद अब इस योजना के निर्णायक दौर में आने के संकेत हैं। सरकार इस योजना को 2018 के बजट में पेश कर सकती है, जो मोदी सरकार का 2019 के आम चुनाव से पहले आखिरी पूर्णकालिक बजट होगा।
सरकार इस कोशिश को नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता के तौर पर पेश कर सकती है। सूत्रों के अनुसार यूनिवर्सल ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओ) से इस महत्वाकांक्षी स्कीम को आगे बढ़ाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि सरकार ग्रामीण इलाकों में नेट कनेक्टिविटी को बढ़ाने के उद्देश्य से इस योजना को पेश करेगी। इसके तहत वे सभी जरूरी वेबसाइट खुलेंगी जो जरूरी सेवाओं के उपयोग की होंगी। इस प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने में जुटे अधिकारियों के अनुसार अभी इसके कई पहलुओं पर मंथन होना बाकी है लेकिन उम्मीद है कि इस बार यह मूर्त रूप ले लेगी।
यह एक ऐसा फंड है जिसमें तमाम टेलिकॉम कंपनियों को हर साल अपने लाभ से एक हिस्सा सरकार के पास बने फंड में जमा करना जरूरी होता है। 2002 से लेकर 2016 तक इसमें 68 हजार करोड़ रुपये जमा हुए लेकिन इसमें से मात्र करीब 25 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। पिछले साल सीएजी ने आपत्ति जताई थी कि इसमें जमा रुपये का उपयोग सरकार दूसरी मद में कर रही है जबकि सुदूर क्षेत्र में मोबाइल, इंटरनेट विस्तार के लिए पैसा खर्च होना चाहिए।