विहिप ने कहा मंदिर के लिए सुलह नही केन्द्र बनाये कानून,

मंदिर के निर्माण का 67 प्रतिशत काम पूरा
लखनऊ । अयोध्या पर सुलह समझौते की श्रीश्री रविशंकर की कोशिशों से न तो विश्व हिन्दू परिषद खुश है और न सुन्नी वक्फ बोर्ड स्वागत कर रहा है। विहिप 24 से 26 नंवबर को कर्नाटक के उडूपी में हो रही पंद्रहवी ‘धर्मसंसद’ में अपनी रणनीति तय करेगा। विहिप के अवध प्रांत के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा है कि श्रीराम जन्म भूमि को लेकर सुलह समझौता की रट का पुरातात्विक साक्ष्य मिलने के उपरांत अब कोई औचित्य नही है। न्यायालय साक्ष्य मांगता है, जो हिन्दुओं के पक्ष मंे है। फिर बातचीत कैसी और क्यों। हिन्दुओं की ही सम्पति और वह ही दूसरों के सामने गिड़गिड़ाये ऐसा अब नही होगा।
शर्मा ने कहा कि जो लोग सुलह समझौते की बात कर रहे है। उनके प्रत्येक पहलुओं पर विहिप नजर रख रही है। अयोध्या मे मंदिर था, मंदिर है और रहेगा। अब भव्यता देना बाकी है। जो संसद के माध्यम से ही होगा। मंदिर मे 1.75 लाख घन फुट पत्थर लगने है। मंदिर मे प्रयोग होने वाले पत्थरों का 67 प्रतिशत भाग का निर्माण हो चुका है।
गुरूवार को श्रीश्री के अध्योध्या दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने स्वंय न्यायालय मे शपथपत्र देकर कहा था कि एएसआई की रिपोर्ट में मंदिर सिद्ध होने पर वह स्वंय इस विवाद से हटकर निर्माण मे सहयोग करेगा। अब जब सारे तथ्य मंदिर सिद्ध कर रहे है तो मस्जिद के पक्षकार अपने शपथ पत्र से मुकर गए है। उन्होने कहा सम्पूर्ण अयोध्या श्रीराम की है और जहां भगवान का प्रकटीकरण हुआ वह ही रामलला की जन्मभूमि है। 77 एकड़ भूमि पर मंदिर ही बनेगा और कुछ भी नही।
शर्मा ने कहा कि संत धर्माचार्य लगातार कहते आये है कि कानून बनाकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो और अयोध्या की शास्त्रीय सीमा के अंदर मस्जिद का निर्माण संभव नही है। पेजावर मठ उडुप्पी ( कर्नाटक ) मे 24 से 26 नंवबर के दौरान पंद्रहवी ‘धर्मसंसद’ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें हजारो की संख्या में संत धर्माचार्य समलित होगें और श्रीराम जन्मभूमि के साथ ही गौ, गंगा और सामाजिक समरस्ता जैसे देश के गंभीर विषयो पर मंथन करेगे।
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